हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र संपन्न
punjabkesari.in Tuesday, Aug 16, 2022 - 10:08 AM (IST)
शिमला, 13 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र शनिवार को संपन्न हो गया। यह इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का आखिरी सत्र था।
शाम 7.32 बजे विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
चार दिवसीय सत्र विरोध और लगातार व्यवधानों से प्रभावित रहा। विपक्षी कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया। बृहस्पतिवार को प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के जवाब से ठीक पहले विपक्ष ने बहिर्गमन किया।
विधानसभा ने शनिवार को राज्य के 2019 के धर्मांतरण रोधी कानून को और अधिक कठोर बनाने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके तहत कोई धर्मांतरित व्यक्ति अपने मूल धर्म या जाति के "किसी भी लाभ" का फायदा नहीं उठा पाएगा। धर्मांतरण में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर अधिकतम सजा बढ़ाकर 10 साल के कारावास तक कर दी गई है।
ध्वनि मत से पारित, हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022, "सामूहिक धर्मांतरण" पर भी प्रतिबंध लगाता है - जिसे एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों को बल या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरित करने के रूप में वर्णित किया गया है।
सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार को राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा नहीं लेने के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहली कैबिनेट बैठक में फैसला किया कि पिछली सरकार का कोई भी फैसला पलटा नहीं जाएगा।’’
विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पर्वतीय राज्य में क्रमिक सरकारों ने इसके समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता दोनों ने उम्मीद जताई कि अगली सरकार उनकी पार्टी बनाएगी।
तेरहवीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा का आखिरी और 15वां सत्र 10 अगस्त को शुरू हुआ था। इसकी चार बैठकें हुईं।
अपने समापन संबोधन में, विधानसभा अध्यक्ष वीरेंद्र परमार ने कहा कि 13वीं विधानसभा में कुल 140 बैठकें हुईं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
शाम 7.32 बजे विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
चार दिवसीय सत्र विरोध और लगातार व्यवधानों से प्रभावित रहा। विपक्षी कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया। बृहस्पतिवार को प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के जवाब से ठीक पहले विपक्ष ने बहिर्गमन किया।
विधानसभा ने शनिवार को राज्य के 2019 के धर्मांतरण रोधी कानून को और अधिक कठोर बनाने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके तहत कोई धर्मांतरित व्यक्ति अपने मूल धर्म या जाति के "किसी भी लाभ" का फायदा नहीं उठा पाएगा। धर्मांतरण में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर अधिकतम सजा बढ़ाकर 10 साल के कारावास तक कर दी गई है।
ध्वनि मत से पारित, हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022, "सामूहिक धर्मांतरण" पर भी प्रतिबंध लगाता है - जिसे एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों को बल या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरित करने के रूप में वर्णित किया गया है।
सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार को राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा नहीं लेने के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहली कैबिनेट बैठक में फैसला किया कि पिछली सरकार का कोई भी फैसला पलटा नहीं जाएगा।’’
विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पर्वतीय राज्य में क्रमिक सरकारों ने इसके समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता दोनों ने उम्मीद जताई कि अगली सरकार उनकी पार्टी बनाएगी।
तेरहवीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा का आखिरी और 15वां सत्र 10 अगस्त को शुरू हुआ था। इसकी चार बैठकें हुईं।
अपने समापन संबोधन में, विधानसभा अध्यक्ष वीरेंद्र परमार ने कहा कि 13वीं विधानसभा में कुल 140 बैठकें हुईं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।