शिमला के 2606 प्रॉपर्टी टैक्स डिफॉल्टरों को नगर निगम ने जारी किए नोटिस, जानिए क्यों

Thursday, Dec 13, 2018 - 05:44 PM (IST)

शिमला (वंदना): राजधानी के 2606 प्रॉपर्टी टैक्स डिफॉल्टरों को 31 दिसम्बर तक संपत्ति कर जमा करवाने का अल्टीमेटम जारी किया है। निगम इन डिफॉल्टरों को फाइनल नोटिस जारी कर निर्धारित समय के भीतर लंबित राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जो डिफॉल्टर टैक्स का भुगतान नहीं करेगे उनके नाम कोर्ट के समक्ष पेश किए जाएंगे। वीरवार को नगर निगम आयुक्त पंकज राय ने प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर कर शाखाा के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक ली। बैठक में आयुक्त ने सभी डिफॉल्टरों को 31 दिसम्बर तक टैक्स जमा करवाने के आदेश दिए है इसके बाद उनपर नियमों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

आयुक्त ने अधिकारियों को लंबित टैक्स की रिकवरी प्रक्रिया जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम इन डिफॉल्टरों पर 5 प्रतिशत जुर्माना लगा रहा है साथ ही बिल पर 1 प्रतिशत की ब्याज वसूल कर रहा है। 2606 डिफॉल्टरों से नगर निगम को 5 करोड़ 83 लाख रुपए की रिकवरी करनी है। प्रशासन ने साफ कहा है कि जो डिफॉल्टर टैक्स नहीं देगा उसका नाम समाचार पत्रों में सार्वजनिक कर दिया जाएगा साथ ही डिफॉल्टरों की लिस्ट कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी। नगर निगम ने सैक्शन 124 के तहत डिफॉल्टरों को यह नोटिस जारी किए है इसके तहत बिल का भुगतान नहीं करने पर संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।

विधायक सहित 30 बड़े डिफाल्टर नहीं कर रहे भुगतान

राजधानी के 30 बड़े डिफॉल्टर ऐसे है जिनसे से करोड़ों रुपए निगम ने वसूल करने है लेकिन यह डिफाल्टर टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे है। इन डिफॉल्टरों की सूची में आई.एस.बी.टी से नगर निगम को 4 करोड़ रुपए की रिकवरी करनी है निगम का यह सबसे बड़ा डिफॉल्टर है, लेकिन इसका मामला डिविजल कोर्ट में चलने से रिकवरी नहीं हो पाई हैं। वहीं सरकारी महकमें, विधायक सहित शहर के कई बड़े होटल कारोबारियों के नाम है जिनसे वसूली की जानी हैं।

डी.डी.यू ने करनी है 44 लाख 71 हजार 780 रुपए की रिवकरी

राजधानी के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल से नगर निगम को 44 लाख 71 हजार 780 रुपए के प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली करनी है। नगर निगम की ओर से डी.डी.यू प्रशासन को नोटिस जारी कर 31 दिसंबर तक टैक्स का भुगतान करने के आदेश दिए हैं, इसके अलावा सरकारी महकमों की लिस्ट में शिक्षा, आई.पी.एच, सरकारी स्कूल व कालेज शामिल हैं। जिनसे निगम को करोड़ों रुपए की वसूली होनी हैं।

Ekta