कोरोना संक्रमित मृतक महिला को किसी ने नहीं दिया कंधा तो पुत्र ने अकेले कंधे पर उठाकर पहुंचाया श्मशान

punjabkesari.in Thursday, May 13, 2021 - 10:47 PM (IST)

बनखंडी (राजीव शर्मा): फैली हुई विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौरान भी एक निजी क्लीनिक में काम करके लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले वीर ङ्क्षसह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी जिंदगी में कभी ऐसा भी दिन आएगा कि अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशान पहुंचाना पड़ेगा और ऐसे में उसकी सहायता के लिए कोई आगे नहीं आएगा। रानीताल में ऐसा ही मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है, जिसमें एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसको कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। मजबूरीवश पुत्र अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंच गया तब जाकर मां का अंतिम संस्कार किया गया। जानकारी के अनुसार ये मामला रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार का है जहां वीरवार सुबह एक कोरोना संक्रमित महिला जो कि भंगवार पंचायत की पूर्व में उपप्रधान भी रह चुकी है की घर पर ही मृत्यु हो गई। हद तो उस समय हो गई जब उस महिला को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई शव को कंधा लगाने भी आगे नहीं आया। ऐसे में जैसे तैसे उसके पुत्र वीर सिंह ने खुद को संभाला और मां के शव को कंधे पर उठाकर अंतिम संस्कार के लिए चल पड़ा। बताया जा रहा है कि आगे-आगे पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे ढेड़ वर्ष के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी। रानीताल में हुए इस वाक्या ने सच में मानवता को शर्मसार करके रख दिया है। लोग खुद यह क्यों भूल जाते हैं कि समय हमेशा एक सा नहीं रहता कल उनके साथ भी कुछ ऐसा घटित हो सकता है। बात करें तो देश में फैली हुई कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित लोगों को सहायता प्रदान करने संबंधी लोगों द्वारा बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जब सहायता का समय आता है तो ऐसे में वो सभी बातें धरातल पर शून्य हो जाती हैं।

क्या कहना है भंगवार पंचायत के प्रधान का
जब इस बारे भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुझे बुखार था इसलिए मैं खुद पीड़ित परिवार के घर नहीं जा सका, लेकिन फिर भी मैंने प्रशासन से पी.पी.ई. किटों और हर संभव सहायता के बारे में बात की थी लेकिन पीड़ित वीर सिंह ने पी.पी.ई. किटों के लिए मना कर दिया और कहा कि मेरे रिश्तेदार पी.पी.ई. किट लेकर आ रहे हैं आप रहने दो। वहीं मेरे कहने पर आशा वर्कर ने भी पीड़ित परिवार से संपर्क किया और हर संभव सहायता के लिए कहा था। मैंने 2 ट्रैक्टर चालकों से भी शव को लेकर जाने की बात की, लेकिन दोनों ट्रैक्टर चालकों ने इंकार कर दिया। वहीं पीड़ित परिवार की गांव के कुछ लोगों ने मदद की है और वो लड़कियां काटने के लिए पहले ही जंगल में चले गए थे वो वहां पर शव का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पीड़ित वीर सिंह ने शव को अकेले ले जाकर बहुत ही जल्दबाजी दिखाई उसने न तो मुझे और न ही किसी और बुद्धिजीवी को इस बारे में बताया कि शव को कोई कंधा नहीं लगा रहा नहीं तो हम कुछ करते जाए ताकि स्वास्थ्य कर्मियों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े।


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Content Writer

Jinesh Kumar

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