1 Jan से बदलेगे डिजिटल बैंकिंग के नए नियम, जानें क्यों पड़ी बदलाव की ज़रूरत?
punjabkesari.in Monday, Dec 08, 2025 - 12:31 PM (IST)
हिमाचल डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के संचालन में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी कर ली है। 1 जनवरी, 2026 से लागू होने वाले ये नए दिशा-निर्देश डिजिटल लेनदेन के बढ़ते माहौल में ग्राहकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम हैं।
क्यों पड़ी बदलाव की ज़रूरत?
यह फैसला यूं ही नहीं लिया गया है। RBI ने महसूस किया कि कई बैंक ग्राहकों पर अनावश्यक रूप से मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करने या इंटरनेट बैंकिंग अपनाने का दबाव बना रहे थे। लगातार बढ़ रही ग्राहकों की शिकायतों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जबरन सेवाओं को बंडल करने की प्रवृत्तियों को देखते हुए, केंद्रीय बैंक ने अब सख्त रुख अपनाया है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाना और बैंकों को 'जबरन' उत्पाद बेचने से रोकना है।
क्या है डिजिटल बैंकिंग का दायरा?
डिजिटल बैंकिंग चैनल में वे सभी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम शामिल हैं जिनके जरिए बैंक अपने ग्राहकों को सेवाएँ देते हैं। इसमें मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से होने वाली लेन-देन सेवाएँ (जैसे पैसे भेजना या लोन लेना) और गैर-लेन-देन सेवाएँ (जैसे खाते का बैलेंस देखना या स्टेटमेंट डाउनलोड करना) दोनों ही शामिल हैं।
किस पर लागू होंगे ये सख़्त नियम?
RBI ने इन विस्तृत गाइडलाइंस को मुख्य रूप से वाणिज्यिक बैंकों के लिए जारी किया है। हालांकि, यदि कोई बैंक अपनी डिजिटल सेवाएँ देने के लिए किसी बाहरी थर्ड-पार्टी कंपनी या फिनटेक पार्टनर की मदद लेता है, तो बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे पार्टनर भी इन नए मानकों का पूरी तरह से पालन करें।
डिजिटल सेवा शुरू करने के लिए अब क्या है ज़रूरी?
बैंकों के लिए अब राह थोड़ी सख्त हो गई है। केवल जानकारी देने वाली (नॉन-ट्रांजैक्शनल) सेवाएँ शुरू करने के लिए बैंकों को मजबूत IT इंफ्रास्ट्रक्चर और कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) की क्षमता दिखानी होगी। लेकिन, अगर बैंक फंड ट्रांसफर जैसी लेन-देन (ट्रांजैक्शनल) सेवाएँ शुरू करना चाहते हैं, तो RBI से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, उन्हें साइबर सुरक्षा और आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को भी अभेद्य बनाना होगा।
बैंकों के लिए नई अनुपालन सूची:
सहमति सर्वोपरि: किसी भी डिजिटल सेवा के लिए ग्राहक की पूरी तरह से स्पष्ट, लिखित (डॉक्यूमेंटेड) सहमति लेना आवश्यक होगा।
थर्ड-पार्टी विज्ञापन पर रोक: ग्राहक के लॉगिन करने के बाद, बैंक केवल तभी किसी थर्ड-पार्टी उत्पाद का विज्ञापन दिखा सकते हैं जब ग्राहक ने इसकी विशेष अनुमति दी हो।
हर लेन-देन पर अलर्ट: अब हर वित्तीय लेन-देन के लिए ग्राहकों को SMS या ईमेल के माध्यम से अनिवार्य रूप से सूचना भेजनी होगी।
सख्त नियम का पालन: जिन मामलों में RBI और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर, दोनों के नियम लागू होते हैं, वहाँ बैंक को दोनों में से सबसे सख्त नियम का पालन करना होगा।
ग्राहकों के लिए सबसे बड़ा लाभ:
इस बदलाव से ग्राहकों को सबसे बड़ी आज़ादी मिलेगी। अब किसी भी ग्राहक को किसी अन्य सेवा (जैसे डेबिट कार्ड) के कारण डिजिटल चैनल अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। ग्राहक अपनी मर्जी से डिजिटल सेवाओं के किसी भी संयोजन का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसके अलावा, बैंकों को रजिस्ट्रेशन और नियम-शर्तों से जुड़ी जानकारी बेहद सरल और स्पष्ट भाषा में देनी होगी, जिससे ग्राहकों के लिए सेवाओं को समझना और उन पर भरोसा करना आसान हो जाएगा।

