कॉर्पोरेट सैक्टर की नौकरी छोड़ हाईड्रोपोनिक्स खेती से 50 हजार महीना कमा रहे नवीन शर्मा
punjabkesari.in Sunday, Mar 13, 2022 - 11:47 PM (IST)

जोगिंद्रनगर (लक्की शर्मा): राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त 42 वर्षीय नवीन शर्मा ने कॉर्पोरेट सेक्टर की ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी छोड़कर हाईड्रोपोनिक्स तरीके से खेती कर न केवल प्रतिमाह 50 से 60 हजार रूपये कमा रहे हैं बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बने हैं। 500 वर्गमीटर क्षेत्र में स्थापित हाईड्रोपोनिक्स पॉलीहाऊस के माध्यम से नवीन शर्मा न केवल अच्छी कमाई कर पा रहे हैं बल्कि दो युवाओं को सीधा रोजगार भी प्रदान किया है। हाईड्रोपोनिक्स तरीके से खेती करने वाले नवीन शर्मा न केवल जोगिंद्रनगर क्षेत्र के ऐसे पहले किसान हैं बल्कि उन्होंने इस क्षेत्र में भविष्य की खेती की नींव भी रखी है। जब इस बारे नवीन शर्मा से बातचीत की तो उन्होने बताया कि वे पिछले एक वर्ष से जोगिंद्रनगर के ऐहजू में हाइड्रोपोनिक विधि से खेती कर रहे हैं तथा उन्हे प्रतिमाह औसतन 50 से 60 हजार रूपये की शुद्ध आय हो रही है। नवीन शर्मा ने पॉलीहाऊस में लैट्यूस, चैरी टोमैटो, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, केल, धनिया, मिर्च, टमाटर इत्यादि फसलें नियमित अंतराल के बाद तैयार कर रहे हैं। उनकी यह तैयार फसलें पालमपुर, कांगड़ा, धर्मशाला, मैक्लोडगंज इत्यादि स्थानों में आसानी से बिक भी रही हैं तथा उन्हे अच्छे दाम भी प्राप्त हो रहे हैं।
300 से 350 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा चैरी टोमैटो
उनका कहना है कि जहां तैयार लैट्यूस 400 से 450 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिक रहा है तो वहीं चैरी टोमैटो 300 से 350 जबकि बेसिल तुलसी 400 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से दाम प्राप्त हो रहे हैं। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी, केल तथा शिमला मिर्च व धनिया इत्यादि के भी अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं। नवीन शर्मा कहते हैं कि हाईड्रोपोनिक्स खेती की एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें केवल पानी का ही इस्तेमाल होता है। साथ ही पारंपरिक खेती के मुकाबले हाईड्रोपोनिक्स से पानी की लगभग 90 फीसदी तक बचत भी होती है। उनका कहना है कि वे पौधों की नर्सरी भी स्वयं तैयार करते हैं तथा पौधे तैयार होते ही उन्हे स्थापित पाइपों में रोप दिया जाता है। इसके बाद पाइपों के माध्यम से पानी की सप्लाई द्वारा सभी तरह के पोषक तत्व पौधों को दिये जाते हैं। नवीन शर्मा हाईड्रोपोनिक्स खेती को व्हाइट कॉलर खेती की संज्ञा भी देते हैं। हाईइड्रोपोनिक्स खेती का कार्य शुरू करने से पहले नवीन शर्मा 15 वर्ष तक कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में देश व देश के बाहर जॉब कर चुके हैं तथा उन्हे अच्छा पैकेज भी मिल रहा था लेकिन अब उन्होंने स्वरोजगार को ही आगे बढ़ने का माध्यम बनाया है तथा पिछले 3-4 वर्षों से इस दिशा में वे आगे बढ़ रहे हैं।
पॉलीहाऊस निर्माण को 5.18 लाख तो हाईड्रोपोनिक्स सेटिंग को मिला है 3 लाख का सरकारी उपदान
नवीन शर्मा बताते हैं कि पॉलीहाऊस निर्माण को सरकार ने 85 प्रतिशत की दर से 5.18 लाख रुपए का उपदान मुहैया करवाया है जबकि हाईड्रोपोनिक्स सैटअप के लिये 3 लाख रुपए की सब्सिडी मिली है। उन्होने बताया कि हाइड्रोपोनिक सैटअप के लिए कुल 10 लाख रुपए की लागत आई है। इसके अलावा पॉलीहाऊस की सोलर युक्त बाड़बंदी को भी सरकार ने 80 प्रतिशत की दर से 1.35 लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया है।
हाईड्रोपोनिक खेती से जुड़ने को आगे आएं युवा, उपलब्ध करवाएंगे प्रशिक्षण की सुविधा
उन्होंने हाइड्रोपोनिक विधि से खेती करने के लिये युवाओं से आगे आने का भी आहवान किया है। उन्होने कहा कि इसके लिए वे युवाओं को प्रशिक्षण भी प्रदान करने के लिये तैयार हैं। बड़े स्तर पर हाईड्रोपोनिक्स खेती से न केवल बाजार की डिमांड को आसानी से पूरा किया जा सकता है बल्कि अपनी पहुंच को बड़े शहरों जैसे चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई इत्यादि तक ले जाने में उन्हे दाम भी अच्छे प्राप्त होंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा का कहना है कि नवीन शर्मा ने हाईड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती का कार्य शुरू किया है जो इस उपमंडल के हजारों युवाओं के लिये प्रेरणा का काम करेगा। उन्होने कहा कि हाईड्रोपोनिक्स तकनीक भविष्य की खेती है जिससे जुड़ने न केवल युवा घर बैठे अच्छी कमाई कर सकते हैं बल्कि रोजगार की तलाश में उन्हे प्रदेश के बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा। उन्होने ज्यादा से ज्यादा युवाओं से इस आधुनिक खेती तकनीक से जुड़ने का आहवान किया है।
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