Solan: अनुशासनहीनता और अवज्ञा पड़ी भारी, प्रोबेशनरी असिस्टैंट प्रोफैसर बर्खास्त
punjabkesari.in Saturday, Dec 20, 2025 - 10:45 PM (IST)
नाहन (आशु): डॉ. वाई.एस. परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (सोलन) प्रशासन ने जिला सिरमौर के धौलाकुआं स्थित क्षेत्रीय उद्यानिकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में प्रोबेशन पर कार्यरत असिस्टैंट प्रोफैसर (प्लांट फिजियोलॉजी) डॉ. संजीव कुमार सन्याल की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त (बर्खास्त) कर दी हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह सख्त कार्रवाई असिस्टैंट प्रोफैसर के प्रोबेशन अवधि में उनका कार्य-आचरण असंतोषजनक पाने सहित अन्य कारणों के चलते अमल में लाई है। इस संबंध में नौणी विश्वविद्यालय के उपकुलपति की तरफ से लिखित आदेश जारी किए गए हैं। बता दें कि इससे पहले असिस्टैंट प्रोफैसर को सस्पैंड भी किया जा चुका था, लेकिन अब उन पर सीधे बर्खास्तगी की गाज गिरी है।
आदेशों के मुताबिक यह निर्णय हाल ही में विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमैंट-कम-नियुक्ति प्राधिकारी की 121वीं बैठक में लिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार डॉ. संजीव कुमार सन्याल का कार्य एवं आचरण प्रोबेशन अवधि के दौरान संतोषजनक नहीं पाया गया। उन पर उच्च अधिकारियों के वैध आदेशों की अवहेलना करने, निराधार और दुर्भावना पूर्ण आरोप लगाने, अनुशासनहीनता एवं अवज्ञा जैसे गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं, जिससे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व अनुसंधान वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। यही वजह है कि सीधे उनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है।
2021 में कांट्रैक्ट, 2024 में नियमित और फिर प्रोबेशन
आदेश के अनुसार डॉ. संजीव कुमार सन्याल की नियुक्ति 29 जनवरी 2021 को 30,600 रुपए मासिक मानदेय पर कांट्रैक्ट (संविदा) आधार पर की गई थी। बाद में राज्य सरकार की नीति के तहत विश्वविद्यालय ने 7 जून 2024 को उनकी सेवाएं नियमित कीं और उन्हें दो वर्ष की प्रोबेशन अवधि पर रखा गया, जो 6 जून 2026 तक थी।
चार्जशीट, निलंबन और विभागीय जांच
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक प्रोबेशन अवधि के दौरान डॉ. सन्याल के खिलाफ दो अलग-अलग चार्जशीट जारी की गईं। इसके बाद उन्हें 13 फरवरी 2025 को निलंबित किया गया, जो समय-समय पर बढ़ाया गया और वे वर्तमान में भी निलंबन में थे। विभागीय जांच केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1965 के तहत की गई, जिसमें सभी आरोप प्रमाणित पाए गए।
हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन जांच में नहीं हुए शामिल
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक डॉ. संजीव कुमार सन्याल ने अपने निलंबन और चार्जशीट के खिलाफ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में तीन बार याचिकाएं दायर कीं। हालांकि हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उन्होंने किसी भी विभागीय जांच में भाग नहीं लिया। लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे उनके “अवज्ञाकारी और बाधक रवैये” का प्रमाण बताया।
प्रोबेशन नियमों के तहत कार्रवाई
आदेश में विश्वविद्यालय की प्रासंगिक धाराओं का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रोबेशन अवधि के दौरान यदि कर्मचारी का कार्य और आचरण संतोषजनक न हो, तो उसकी सेवाएं बिना नोटिस समाप्त की जा सकती हैं और यह दंड की श्रेणी में नहीं आता। इसी आधार पर विश्वविद्यालय ने उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया।
एक माह के वेतन का भुगतान
हालांकि नियमों के अनुसार डॉ. संजीव कुमार सन्याल को एक माह के वेतन एवं भत्तों के बराबर राशि का भुगतान किया जाएगा, जो उन्हें आदेश की तिथि से पूर्व मिल रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई संस्थान में अनुशासन, कार्य संस्कृति और शैक्षणिक वातावरण बनाए रखने के उद्देश्य से की गई।
क्या कहते हैं उपकुलपति?
उपकुलपति वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल का कहना है कि क्षेत्रीय उद्यानिकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं में कार्यरत प्रोबेशनरी असिस्टैंट प्रोफैसर डॉ. संजीव कुमार सन्याल को बर्खास्त किया गया है। ये फैसला विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमैंट-कम-नियुक्ति प्राधिकारी की बैठक में लिया गया है। इस संबंध में लिखित आदेश जारी किए गए है। असिस्टैंट प्रोफैसर के कार्य व आचरण असंतोषजनक न पाए जाने पर यह कार्रवाई अमल में लाई गई है।

