Sirmour: 15 हाथियों को रास आ रहे सिरमौर के जंगल, पांवटा साहिब बना स्थायी घर
punjabkesari.in Sunday, Mar 30, 2025 - 10:25 PM (IST)

नाहन (आशु वर्मा) : सिरमौर के जंगल हाथियों को खूब रास आ रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 14 से 15 हाथियों ने पांवटा साहिब घाटी के जंगलों को ही अपना स्थायी घर बना लिया है। पिछले एक वर्ष से इन हाथियों ने उत्तराखंड का रुख नहीं किया है, बल्कि अब ये हाथी परमानैंट यही के जंगलों में घूम रहे हैं। इससे पहले उत्तराखंड से पांवटा साहिब और पांवटा साहिब से उत्तराखंड हाथियों का आवागमन होता रहता है। दरअसल पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से हिमाचल की सीमा में पांवटा साहिब के जंगलों में हाथियों के आने का सिलसिला पिछले करीब 2-3 दशक से चला आ रहा है, लेकिन पिछले 2-3 सालों में यहां हाथियों की मूवमैंट अधिक हो रही है।
अब खास बात यह निकलकर सामने आ रही है कि इनमें से 14-15 हाथी यही के जंगलों में अपना स्थायी ठिकाना बना चुके हैं। अहम बात यह भी है कि ये सभी हाथी अब एक साथ न घूम अलग-अलग झुंड बनाकर जंगलों में चहलकदमी कर रहे हैं। इसकी तस्दीक इस बात से भी हो जाती है कि पिछले 4 दिनों में बहराल और बातामंडी वन बीट में दो अलग-अलग जगहों पर 3-3 हाथियों की टोलियां क्षेत्र में उत्पात मचा चुकी हैं। वन विभाग ने भी इसकी पुष्टि कर रहा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश 2024 में पहली बार प्रोजैक्ट एलीफैंट राज्य के रूप में भी नामित किया जा चुका है। इस योजना के तहत हाथियों से लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कई कारगर कदम भी उठाए जा रहे हैं।
स्थायी आशियाना बनाने का कारण
हाथियों का यहां स्थायी आशियाना बनाने का एक बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि उत्तराखंड के राजा जी नैशनल पार्क की तर्ज पर पांवटा साहिब के जंगलों में भी हाथियों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है। दूसरा हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है और यह जगजाहिर है कि पांवटा साहिब के जंगलों में अवैध रूप से कच्ची शराब भी तैयार की जाती है, जिसका पुलिस और वन विभाग समय-समय पर खुलासा भी करते आ रहे हैं।
जागरूक हो रहे लोग
वन विभाग आबादी वाले इलाकों में हाथियों की मूवमैंट को रोकने के इरादे से हरसंभव कारगर कदम उठा रहा है, लेकिन अब भी कुछ इलाकों में हाथी खेत-खलियानों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं, जो लोगों के लिए अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि लोग काफी हद तक अब इस दिशा में जागरूक भी हो चुके हैं, लेकिन जंगलों के आसपास ढेरा जमाने वाले भेड़पालकों व गुज्जरों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।