प्राइवेट नौकरी छोड़ अपनाई प्राकृतिक खेती, किसानों के लिए बन गए मिसाल

punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2020 - 03:58 PM (IST)

बिलासपुर (मुकेश): केंद्र सरकार जहां प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के माध्यम से किसानों को रासायनिक खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर बढऩे का सन्देश दे रही तो वहीं हिमाचल प्रदेश में भी कई किसान ऐसे हंै जोकि प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आमदनी को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। बिलासपुर के नियो गांव के रहने वाले अजय रतन ने देसी गाय के मलमूत्र व गोबर से जीवामृत व घना अमृत बनाकर इसका इस्तेमाल मशरूम की पैदावार के लिए कर रहे हैं, जिससे न केवल मशरूम की उपज बढ़ी है बल्कि बाजार में मशरूम की डिमांड भी ज्यादा है।
PunjabKesari, Mushroom Farming Image

बिलासपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव नियो के रहने वाले अजय रतन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर एक सीमैंट कंपनी में 12 वर्षों तक बतौर असिस्टैंट इंजीनियर काम किया लेकिन उनका जुड़ाव मिटटी से था, जिसके चलते उन्होंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ प्रकृतिक खेती की ओर रुख किया और प्राकृतिक खेती को अपनाकर मशरूम की खेती करने लगे। आज अजय रतन अपने घर पर ही लगभग 400 पैकेट में मशरूम की पैदावार कर रहे हैं।
PunjabKesari, Mushroom Farming Image

अजय रतन ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र बरठीं में मशरूम की खेती के संबंध में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती शुरू की है। मशरूम की खेती के लिए वह रासायनिक खाद नहीं बल्कि देसी गाय के गोबर व मलमूत्र से बनाए गए जीवामृत व घना अमृत सहित नारियल का बुरादा और फंगस को खत्म करने के लिए खट्टी लस्सी के साथ ही ब्रह्नास्त्र व अग्निशत्र का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से तैयार मशरूम की ज्यादा डिमांड होने से उन्हें मुनाफा भी ज्यादा हो रहा है।
PunjabKesari, Mushroom Farming Image

केंद्र सरकार के प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के सपने को साकार करने के लिए अजय रतन न केवल खुद प्राकृतिक खेती करते है बल्कि किसानों को भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के जरिये मशरूम की बेहतरीन पैदावार के लिए अजय रतन ने आसपास के गांव के कई किसानों को प्रशिक्षित किया है ताकि वे प्राकृतिक खेती को अपना कर अपनी आय को बढ़ा सकें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Vijay

Recommended News

Related News