विधायक रामलाल ने घेरी सरकार, बोले-धर्मशाला में हुई इन्वैस्टर्स मीट के अभी तक शून्य परिणाम

punjabkesari.in Saturday, May 23, 2020 - 08:24 PM (IST)

बिलासपुर (ब्यूरो): कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री तथा विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार ने बेरोजगारी खत्म करने और रोजगार उपलब्ध करवाने के नाम पर धर्मशाला में इन्वैस्टर्स मीट का आयोजन करवाया लेकिन उसके परिणाम अभी तक शून्य रहे हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि इतना बड़ा आयोजन करके करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं तो सरकार को चाहिए कि वह जनता को बताए कि आखिर अब तक कितने इन्वैस्टर आए हैं और कितनी इन्वैस्टमैंट हो पाई है तथा कितने युवाओं को इस योजना के अधीन रोजगार मिल पाया है? उन्होंने कहा कि लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए इन्वैस्टर्स मीट के नाम पर कथित बहुत बड़ा ड्रामा रचा गया किन्तु सरकार हर मोर्चे पर असफ ल ही सिद्ध हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को कोविड-19 के कारण बेरोजगार हुए लोगों का डाटा भी सार्वजनिक करना चाहिए और प्रदेश सरकार को यह भी बताना चाहिए कि कितनी औद्योगिक इकाइयां इस दौरान बंद हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण अपना रोजगार खो चुके युवाओं और बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों के बारे में एक व्यापक नीति निर्धारित करनी चाहिए ताकि इस मंदी के दौर में युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके ताकि वे अपना तथा अपने परिवारों का भरण-पोषण कर सकें। उन्होंने कहा कि इस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत नाजुक दौर से गुजर रही है, जिसका सीधा प्रभाव प्रदेश की निर्धन व मध्यम वर्गीय जनता और किसानों, बागवानों, लघु उद्योगों और छोटे दुकानदारों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति का गलत व अनुचित नीतियों के कारण पूरी तरह से भट्ठा बिठा दिया गया है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2020 में भारत की वृद्धि दर सिर्फ  1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। उसमें कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 के दशक की महामंदी के बाद पहली बार सबसे खराब दौर से गुजर रही है। कोरोना महामारी ने दुनिया भर की आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक गतिविधियां ही नहीं बल्कि रोजगार भी खत्म कर दिए हैं, जिस कारण लोगों को पेट पालने तक का भारी संकट आ खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि आईएमएफ  का अनुमान सही साबित होता है तो 1991 के उदारीकरण के बाद यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे खराब प्रदर्शन होगा।

दूसरी तरफ  सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट के बाद अब बढ़ती महंगाई दर भी आम जनता की नींद हराम किए हुए है जिस ओर भाजपा सरकार को गहराई से मंथन करना चाहिए ताकि देश को गंभीर आर्थिक संकट से मुक्त करने में सहयोग मिल सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर में बढ़ौतरी हुई है जो नवम्बर में 5.54 प्रतिशत थी और अब दिसम्बर में बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई है।

उन्होंने कहा कि जनवरी से लेकर मई, 2020 खाद्य महंगाई दर में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है जबकि कोविड-19 के कारण बेरोजगारी का बढऩा और उद्योगों का बंद होना सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है जिस बारे सरकार को ठोस नियम व नीति निर्धारित करनी चाहिए ताकि देश को आर्थिक संकट पैदा होने वाले संभावित खतरों से बचाया जा सके।


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Vijay

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