कर्ज के पहाड़ में दबे प्रदेश की साहूकार सरकार का डबल इंजन भी फेल : राजेंद्र राणा

punjabkesari.in Saturday, Jul 11, 2020 - 05:57 PM (IST)

हमीरपुर (ब्यूरो): राज्य कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने शुक्रवार को जारी प्रैस बयान में कहा कि सरकार के आंतरिक खर्चों व कर्जों का हिसाब प्रदेश के भविष्य के लिए निरंतर खतरनाक होता जा रहा है। अब फिर प्रदेश सरकार एक हजार करोड़ का नया कर्जा उठाने की तैयारी में है। हैरानी यह है कि एक ओर प्रदेश सरकार केंद्र की उदारता के नगाड़े पीट रही है और दूसरी ओर प्रदेश को कर्ज के दुष्चक्र में धकेल रही है। आलम यह है कि पुराने कर्ज की ब्याज वापसी के ही लिए नया कर्जा लिया जा रहा है। बेतहाशा कर्ज के जाल में फंसे प्रदेश का वित्तीय संतुलन निरंतर गड़बड़ा रहा है। प्रदेश के गैर-जरूरी कर्जों पर सत्ता पक्ष को आर्थिक संकट की चिंता व चर्चाओं के लिए फुरसत ही नहीं है। अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही सरकार का गैर-जरूरी कर्जों का पहाड़ इसलिए भी हैरान कर रहा है कि डबल इंजन की बात करने वाली बीजेपी अब लगातार राजनीतिक फिजूलखर्ची के भंवर में फंसती व धंसती जा रही है।

उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि जब केंद्र से लगातार उदार राहत की बातें सरकार कर रही है तो ऐसे में कर्जे पर कर्जा लेने की मजबूरी क्या है? क्या सरकार केंद्र की राहत पर प्रदेश की जनता से झूठ बोल रही है? उन्होंने कहा कि सरकार के बजट का हिसाब बता रहा है कि हरेक 100 रुपए की आमदनी में सैंटर टैक्स और स्टेट टैक्स से महज 32 रुपए मिल रहे हैं जबकि ग्रांट इन एड से 44 रुपए मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष की आमदनी के टैक्स रहित राजस्व में 5, लोक ऋण 16 तथा 3 रुपए जोड़कर राज्य सरकार चल रही है, ऐसे में सरकार 62 फीसदी खर्च सामान्य व सामाजिक सेवाओं पर बता रही है जबकि कर्जे और ब्याज की अदायगी पर इस कुल बजट का केवल 17 फीसदी होम हो रहा है। अब ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस सरकार का ब्याज वापसी पर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बताई जा रही आमदनी का 17 फीसदी खर्च हो रहा है, वह सरकार जमीनी स्तर पर विकास के लिए क्या खर्च कर रही है।

उन्होंने कहा कि आधे से ज्यादा बजट पैंशनों व कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्च हो जा रहा है जोकि करीब 55 फीसदी बनता है। सरकार के आंकड़ों पर ही अगर भरोसा करें तो करीब 75 फीसदी बजट उपरोक्त खर्चों पर ही उड़ जा रहा है, ऐसे में मात्र करीब 25 फीसदी बजट पर राज्य के विकास का दारोमदार टिका है। ताज्जूब यह है कि लगातार बढ़ रहे कर्ज के कारण राज्य के भविष्य को दांव पर लगाने वाली सरकार में लगातार बढ़ते कर्जे के बोझ के प्रति कोई बैचनी नहीं देखी जा रही है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारी-भरकम प्रशासनिक व्यवस्था का बड़ा बोझ राज्य के भविष्य की पीढ़ी के हितों को लगातार निगल रहा है लेकिन डबल इंजन का शगूफा छोड़कर जनादेश ठगने वाली बीजेपी सरकार आर्थिक सुधारों के प्रति पूरी तरह फ्लॉप और फेल हुई है। खर्चों में कटौतियों कि बजाय इजाफा होता जा रहा है। सरकार के अपने उपक्रम लगातार घाटे में चलते हुए प्रदेश की बची-खुची आमदनी को चट कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के दुष्चक्र में जिस तरह निजी क्षेत्र के उपक्रमों का दम घोटने का प्रयास हुआ है, उससे यह समझा जा सकता है कि कर्ज के भंवर में फंसी सरकार के राज में अब निजी क्षेत्र में चलने वाले उपक्रमों का भविष्य भी खतरे की चपेट में है। महामारी व महंगाई के बीच आम नागरिक का हाल-बेहाल है लेकिन कर्जों के दम पर साहूकार बनी सरकार उधार की पूजा में जिस सियासी रीति और रिवाज को बढ़ावा दे रही है उससे सरकार की क्षमता और विवेक आरोपों के कटघरे में खड़े हैं।


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Vijay

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