सीएम जयराम ने ली राज्य योजना बोर्ड की बैठक, प्रदेश के मौजूदा आर्थिक हालात पर मंथन

Wednesday, Feb 10, 2021 - 09:26 PM (IST)

शिमला (पत्थरिया): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई राज्य योजना बोर्ड की बैठक में प्रदेश के आर्थिक हालात पर विस्तार से चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार इसको लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना ने बाकायदा प्रस्तुति भी दी। अपनी प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने बताया कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत ही नहीं बल्कि अमरीका जैसे कई संपन्न राष्ट्र भी विकास की गति को तेज करने के लिए कर्जों का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में यदि विकास कार्यों के लिए हिमाचल सरकार भी कर्ज लेती है तो इस पर सियासत से बचना चाहिए और इसके लिए पक्ष-विपक्ष को मिलकर एक राय बनानी चाहिए।

कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा प्रतिकूल प्रभाव

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और भारत तथा हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा समय पर उठाए गए कदमों ने यह सुनिश्चित किया है कि देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021-22 के राज्य विकास बजट के लिए 9405.41 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। इसमें सामान्य विकास कार्यक्रम के लिए 6096.70 करोड़ रुपए (64.82 प्रतिशत), अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के लिए 2369.22 करोड़ रुपए (25.19 प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति विकास कार्यक्रम के लिए 846.49 करोड़ रुपए (9 प्रतिशत) और पिछड़े क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए 93 करोड़ रुपए (0.99 प्रतिशत) आबंटित किए गए हैं।

विकास के लिए धन के आबंटन में कोई कमी नहीं

उन्होंने कहा कि यद्यपि नाम परिवर्तित किए गए हैं परन्तु अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए धन के आबंटन में कोई कमी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने महामारी के दौरान लगे लॉकडाऊन में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना और डिस्कोम के अन्तर्गत प्रदेश को 7,161 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निजी निवेश को आकर्षित करने की पहल के अन्तर्गत धर्मशाला में ग्लोबल इन्वैस्टर मीट का आयोजन किया गया, जिसमें नामी उद्यमियों द्वारा 96,000 करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनैस में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 16वें स्थान से 7वें स्थान पर पहुंची है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने आय के स्रोत उत्पन्न करने के लिए कई आवश्यक कदम उठाए हैं और अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिए कई कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।

चौधरी ने उठाया धारा-118 का मामला, फाइल लेकर सीधे सीएम के पास पहुंचे

ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी प्रदेश सरकार के कुछ आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज होकर अपनी फाइल लेकर सीधे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास पहुंचे। उनका कहना था कि यदि फाइलें निश्चित समयावधि में आगे नहीं बढ़ेंगी तो कैसे काम चलेगा। इसके बाद उनकी फाइल हस्ताक्षरित हुई। उन्होंने राज्य योजना बोर्ड बैठक में धारा-118 का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उद्यमियों को इकाइयां स्थापित करने के लिए समयबद्ध मंजूरी प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध खनन को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए, साथ ही वैज्ञानिक तरीके से खनन को बढ़ावा प्रदान करने के लिए लोगों को खनन पट्टे प्रदान किए जाएं।

इन्होंने रखा अपना पक्ष

राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश चंद धवाला ने कहा कि राज्य में संतुलित विकास के लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। मुख्य सचिव अनिल खाची, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रोफैसर एचके चौधरी, डाॅ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन के कुलपति डाॅ. परमिन्दर कौशल, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफैसर एसपी बंसल, कलस्टर विश्वविद्यालय के कुलपति सीएल चंदन और बोर्ड के गैर-सरकारी सदस्य राजकुमार वर्मा तथा अनिल किमटा ने भी इस अवसर पर अपने सुझाव दिए। बैठक में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी, तकनीकी शिक्षा मंत्री डाॅ. रामलाल मारकंडा, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया।

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Vijay