सूर्य की रोशनी की मदद से फोटोकैटलिस्ट पानी का प्रदूषण करेगा दूर

punjabkesari.in Monday, Jun 15, 2020 - 06:09 PM (IST)

मंडी (रजनीश): आईआईटी मंडी की शोध टीम ने योगी वेमना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक नया फोटोकैटलिस्ट विकसित किया है, जो सूर्य की रोशनी की मदद से पानी से हाईड्रोजन प्राप्त करने के साथ ही पानी का प्रदूषण भी दूर करेगा। शोधकर्ताओं ने नए और बहुउपयोगी नैनोकंपोजिट फोटोकैटलिस्ट की सीरीज डिजाइन की है, जिसके लिए कैल्शियम टाइटेनेट के मैसोक्रिस्टल्स को मोलिब्डेनम डाईसल्फाइड युक्त और कम ग्रेफीन ऑक्साइड वाले सल्फर परमाणुओं को आपस में जोड़ा है। फोटोकैटलिटिक प्रतिक्रिया का विशेष और उपयोगी उदाहरण पानी का हाईड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजन है। इस प्रतिक्रिया को 1972 की शुरूआत में ही फुजिशिमा और होंडा ने प्रदॢशत किया था लेकिन इसकी अक्षमता इसके व्यवहारिक उपयोग की प्रौद्योगिकी विकसित करने में बाधक रही है लेकिन वर्तमान शोधकत्र्ताओं ने फोटोकैटलिस्ट से पानी के जैविक प्रदूषकों को भी दूर किया है। फोटोकैटलिस्ट विकसित करने वाली टीम में डा. वैंकट कृष्णन एसोसिएट प्रोफैसर (रसायन विज्ञान), स्कूल ऑफ बेसिक साइंसिज व आईआईटी मंडी के साथ उनके शोध विद्वान आशीष कुमार, अजय कुमार, योगी वेमना विश्वविद्यालय के डा. एम.वी. शंकर और वेंपुलरु नवकोटेश्वर राव शामिल हैं। आईआईटी मंडी की शोध टीम को विश्वास है कि उनकी रणनीति से अन्य मेसोक्रिस्टल के गुणों और प्रदर्शन को बेहतर बनाया जा सकता है।

कम लागत के कैटलिस्ट बनेंगे और ये कई कार्य करेंगे
इसके परिणामस्वरूप विभिन्न उपयोगों के लिए कम लागत के कैटलिस्ट बनेंगे और ये कई कार्य करेंगे। रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफैसर डा. वैंकट कृष्णन ने बताया कि फोटोकैटलिटिक प्रतिक्रिया का प्रदर्शन फोटोकैटलिस्ट द्वारा प्रकाश ऊर्जा को फोटोजैनरेटिड चार्ज में बदलने की दक्षता पर निर्भर करता है, जो इच्छित प्रतिक्रिया को गति प्रदान करता है। एक विशेष वेवलैंथ के प्रकाश के संपर्क में आने पर फोटोकैटलिस्ट इलैक्ट्रॉन-होल उत्पन्न करते हैं, जिससे वह प्रतिक्रिया शुरू होती है, जिसे उत्प्रेरित (कैटलाइज) करने के लिए वे बने हैं। आमतौर पर टाइटानिया और टाइटानेट्स जैसी ऑक्साइड सामग्री को बतौर फोटोकैटलिस्ट अध्ययन किया जाता है लेकिन ये सामग्री अक्सर अपने आप में अक्षम होती है क्योंकि इनके साथ प्रतिक्रिया को गति देने से पहले इलैक्ट्रॉन और होल आपस में मिल जाते हैं।

प्रकाश के संपर्क में आने पर जैविक प्रदूषकों का होगा नाश
डा. वैंकट कृष्णन ने बताया कि मेसोक्रिस्टल अत्यधिक नियंत्रित नैनोकणों से बने सुपर स्ट्रक्चर का एक नया वर्ग है। ये इलैक्ट्रॉन होल युगम को आपस में दोबारा मिलने से रोक सकते हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उत्पन्न मुक्त इलैक्ट्रॉन होल से जुडऩे से पहले इन कणों के बीच प्रवाहित होते हैं। कंबिनेशन में शुद्ध कैल्शियम टाइटनेट की तुलना में 33 गुना अधिक फोटोकैटलिटिक हाईड्रोजन की उपलब्धि दिखी। 3 अलग-अलग वेवलैंथ की रोशनी में लाइट से इलैक्ट्रॉन कन्वर्शन की क्षमता 5.4 प्रतिशत, 3.0 प्रतिशत और 17.7 प्रतिशत दर्ज की गई। सर्वोच्च दक्षता नारंगी प्रकाश (वेवलैंथ 600 एन.एम.) में पाई गई। मेसोक्रिस्टल सेमीकंडक्टर ग्रैफीन कंबिनेशन प्रकाश के संपर्क में आने पर विभिन्न जैविक प्रदूषकों का भी नाश करता है। इसलिए इस शोध में प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों की भी प्रबल संभावना नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि मैटीरियल के फोटोकैटलिटिक प्रदर्शन में तेजी के 3 कारक मानते हैं। तीनों घटकों के बीच अधिक गहन संपर्क से बेहतर इलैक्ट्रॉन ट्रांसफर होता है। ज्यादा सतह क्षेत्र होने से प्रतिक्रिया के लिए अधिक स्थान मिलता है और मोलिब्डेनम डाईसल्फाइड पर विशेष साइट जो प्रतिक्रिया के दौरान उत्पन्न घनात्मक हाईड्रोजन आयनों के चिपकने की साइट बन जाती है, जिसके परिणामस्वरूप हाईड्रोजन का उत्पादन बढ़ता है।


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Kuldeep

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