Himachal: भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा के साथ अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव शुरू, हजारों लोग बने भव्य रथयात्रा के साक्षी

punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2024 - 07:36 PM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का रविवार को अधिष्ठाता रघुनाथ जी की रथयात्रा के साथ श्रीगणेश हुआ। रथ यात्रा में कई देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया और हजारों लोग जुटे। लोगों की भीड़ से रथ मैदान से लेकर पूरा ढालपुर क्षेत्र पट गया। रघुनाथ जी के रथ की डोर को स्पर्श कर लोगों ने पुण्य कमाया और हजारों लोग इस देव समागम के साक्षी बने। भेखली धार और पूईद में देवी जगन्नाथी भुवनेश्वरी का रथ लाव लश्कर के साथ निकला और वहां से ध्वज फहरा कर देवलुओं ने देवी की ओर से रथयात्रा को शुरू करने का इशारा किया। इशारा मिलते ही रघुनाथ जी का रथ आगे बढ़ा। जय श्रीराम के उद्घोष के साथ लोगों ने रथ को रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। इससे पूर्व रघुनाथ जी रघुनाथ पुर से पालकी में सवार होकर रथ मैदान तक आए। राज परिवार की ओर से छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, रघुनाथ जी के कारदार दानवेंद्र सिंह, हितेश्वर सिंह, आदित्य विक्रम सिंह सहित अन्य सदस्याें और देवलुओं ने रथ की परिक्रमा की।

शाम के समय रथ जब रघुनाथ जी के अस्थयी शिविर के पास पहुंचा तो वहां पर विशेष पूजा-अर्चना हुई। उसके उपरांत रघुनाथ जी अस्थायी शिविर में विराजमान हुए। रघुनाथ जी के दरबार में देवी-देवताओं ने शीष नवाया और दर्शन के लिए भी लोगों की कतार लगीं। कड़े सुरक्षा घेरे में रथयात्रा का आयोजन हुआ। अब उत्सव के अंतिम दिन अस्थायी शिविर से रथयात्रा कैटल ग्राऊंड तक होगी। उसके उपरांत रघुनाथ जी को सीता और लक्ष्मण सहित रथ में बैठाकर लोग रथ मैदान लेकर जाएंगे। रथ मैदान में देवी-देवताओं से विदा लेकर रघुनाथ जी अपने देवालय रघुनाथपुर लौट जाएंगे। रथयात्रा को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी देखा और रथयात्रा के बारे में जानकारी ली।

भगवान नृसिंह की घोड़ी भी चली रथयात्रा में
रथयात्रा में रघुनाथ जी के रथ के आगे भगवान नृसिंह की घोड़ी भी चली। इसे रथयात्रा व जलेब के आगे चलाने की परंपरा है। रथयात्रा में सैंकड़ों देवी-देवताओं ने शिरकत करके ढालपुर मैदान के माहौल को भक्तिमय कर दिया। लोगों को भी एक साथ सभी देवी-देवताओं के दर्शन का मौका मिला। देवता धूमल नाग ने रघुनाथ जी के रथ के आगे चलकर भीड़ को चीरते हुए रास्ता बनाया और उसी रास्ते से रघुनाथ जी का रथ आगे बढ़ा।


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Kuldeep

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