कोटरोपी में भूस्खलन के कारण फिर बढ़ी मुश्किल, 80 परिवारों पर मंडराया खतरा

punjabkesari.in Sunday, Jul 29, 2018 - 03:39 PM (IST)

मंडी (नीरज): 12 और 13 अगस्त 2017 की रात को हिमाचल के इतिहास का सबसे बड़ा भूस्खलन हुआ था। मंडी जिला के पधर उपमंडल के कोटरोपी गांव की एक पहाड़ी का एक बहुत बड़ा हिस्सा जमींदोज हो गया था। इसकी चपेट में एचआरटीसी की दो बसें आई थी जिसमें सवार 48 लोगों की मौत हो गई थी। एक साल बाद अब फिर से कोटरोपी में खतरा बढ़ गया है। बरसात का मौसम होने के कारण यहां पड़ा हुआ मलबा अब ढीला हो चुका है जिस कारण मलबा खिसक कर बह रहा है। इस कारण यहां से होकर गुजरने वाला मंडी-पठानकोट नेशनल हाईवे-20 भी बाधित हो गया है। 
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एनएच का 10 मीटर का भाग मलबे के साथ बह गया है और यातायात को दूसरे वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा है। यहां पर एनएच की बहाली के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। बता दें कि कोटरोपी में एनएच की यह बहाली गत वर्ष अस्थाई तौर पर की गई थी और इस वर्ष अब यह अस्थाई सड़क भी बह गई है। लोगों को जान जोखिम में डालकर मलबे को पैदल पार करना पड़ रहा है। क्योंकि इसके अलावा उन्हें 20 से अधिक किलोमीटर का सफर तय करके अपने घर जाना पड़ेगा। वहीं प्रशासन ने मौके पर पुलिस बल को तैनात कर दिया है जो लाउड स्पीकर से लोगों को मलबे वाले स्थान से दूर रहने की चेतावनी दे रहे हैं।
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अब यह भी जान लिजिए कि कोटरोपी में फिर से यह स्थिति उत्पन्न क्यों हो रही है। दरअसल यहां पर तीन नाले बहते थे। जो पिछले साल भारी मलबा आने के कारण दब गए। अब जब बरसात का मौसम आया तो इन नालों से होकर जाने वाले पानी का रिसाव शुरू हो गया। पानी मलबे में समाता चला गया और मलबा ढीला होता गया। शनिवार शाम को पूरी तरह से ढीला हो चुका मलबा बह गया और इसके अंदर रिस रहे पानी ने अपना रास्ता बना दिया। स्थानीय लोगों की मानें तो यदि इन नालों की बहाली समय रहते हो जाती तो शायद यह आलम नहीं होता। हालांकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि पानी की निकासी शुरू हो जाने से अब खतरा कम हो गया है लेकिन फिर भी प्रशासन ने यहां के पांच गांवों के 80 परिवारों को चेतावनी जारी कर दी है। 
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इसमें मुख्य रूप से बडवाहण, साजदी, पंदलाही, जगेहड़ और सराजबगड़ा गांव शामिल हैं। इन गांवों के लोगों के लिए प्रशासन ने दूसरे स्थानों पर रहने की वैकल्पिक व्यवस्था भी कर दी है लेकिन ग्रामीणों के पास समस्या यह है कि वो अपने मवेशियों को कहां लेकर जाएं। एनएच पर सड़क का एक बड़ा हिस्सा बह जाने के कारण अब यहां आसपास के लोगों को 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। कोटरोपी में आलम यह हो चुका है कि यहां प्रशासन भी कुछ करने में पूरी तरह से असमर्थ नजर आ रहा है। मलबा इतना है जिसका कोई हिसाब नहीं। यदि इस मलबे को छेड़ा तो स्थिति गंभीर हो सकती है। यही कारण है कि प्रशासन अभी इस पर नजर बनाए हुए है ताकि समय आने पर इस दिशा में कोई काम किया जा सके। 


एसडीएम पधर आशीष शर्मा ने बताया कि अभी सड़क की बहाली की संभावना नहीं है और प्रशासन इस पर पूरी नजर बनाए हुए है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष भी विशेषज्ञों ने यहां पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ से इनकार किया था, जिस कारण ही इसे नहीं छेड़ा गया। कोटरोपी में जो हालात बन रहे हैं उसे देखकर यही लग रहा है कि सरकार को बड़े स्तर पर इसपर काम करने की जरूरत है। क्योंकि यहां एक वर्ष पहले जो आपदा आई थी वो प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी आपदा थी। इसलिए सरकार को इस बारे में समय रहते ठोस कदम उठाकर कार्रवाही करनी होगी अन्यथा यहां खतरा लगातार बढ़ता जाएगा। 


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