Himachal: कांगड़ा में बढ़ी गिद्धों की संख्या..पाकिस्तान बॉर्डर तक भर रहे उड़ान, जानें कैसे हुआ खुलासा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2024 - 04:17 PM (IST)
हिमाचल डेस्क। कांगड़ा में गिद्धों का कुनबा बढ़ा है। बता दें कि यह गिद्धों की व्हाइट रुम्पड वल्चर प्रजाति है जो कि करीब 20 फीसदी आबादी कांगड़ा के जंगलों में पाई गई है। ये गिद्ध पाकिस्तान बॉर्डर तक उड़ान भर रहे हैं। दुनियाभर में प्रजाति के करीब 10 हजार गिद्ध हैं।
कांगड़ा में इस प्रजाति के 1800 से 2000 हजार के करीब गिद्ध होने का अनुमान है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की शोधार्थी माल्याश्री भट्टाचार्य के चार साल के शोध में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि देहरादून में माल्याश्री गिद्धों की नेस्टिंग के विषय पर पीएचडी कर रही हैं। रिसर्च टीम में डॉ. गौतम तालुकदार और फील्ड असिस्टेंट मनोज कुमार भी शामिल रहे हैं।
जानिए गिद्धों के बढ़ने का कारण
शाहपुर के समीप डोलबा, ब्रंजसिरमनी, हरनेरा, नगरोटा सूरियां के लालपुर जंगल में गिद्धों के अधिकतर घोंसले पाए गए हैं। शोध में खुलासा हुआ है कि इनकी संख्या बढ़ने का कारण चीड़ के घने जंगल और नैचुरल हड्डी खाने हैं, जिसके कारण ये कांगड़ा में ज्यादा पाए गए हैं। ये हड्डी खाने में मृत पशुओं को यहां फैंके जाने से संचालित हो रहे हैं। हड्डी खानों की बदौलत गिद्धों को खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाना मिल रहा है।
शोध में 5 गिद्धों पर ट्रांसमीटर चिप लगाकर उनकी दैनिक गतिविधियों को ट्रैक किया गया। ट्रैकिंग में पाया गया है कि एक गिद्ध दिनभर में अधिकतम 180 किलोमीटर की उड़ान भरता है। एक दिन में कांगड़ा से पाकिस्तान बाॅर्डर के कसूर नामक जगह तक उड़ान का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। गिद्ध ने भारत की सीमा को कभी पार नहीं किया है।
क्यों जरूरी हैं गिद्ध
पारिस्थितिक तंत्र के लिए गिद्ध बेहद महत्वपूर्ण हैं। गिद्धों के झुंड कुछ ही समय में मुर्दा जानवरों के शरीर से मांस को चट कर जाते हैं, ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा शून्य हो जाता है।
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