Mandi: ग्रामीण हुनर को मिली नई उड़ान, ‘हिम ईरा शॉप’ बनी महिला सशक्तिकरण की मिसाल
punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 02:54 PM (IST)

मंडी (रजनीश): मंडी जिले के चुराग विकास खंड की ग्राम पंचायत सवा माहू के अंतर्गत स्थित प्राचीन दानवीर कर्ण श्री मूल माहूंनाग मंदिर के समीप एक छोटी सी पहल आज महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण संस्कृति और आर्थिक आत्मनिर्भरता का बड़ा प्रतीक बन गई है। 2 वर्ष पूर्व शुरू हुई “हिम ईरा शॉप” आज 100 से अधिक महिलाओं के जीवन में आत्मविश्वास, आय और पहचान की नई रोशनी लेकर आई है। इस पहल की शुरुआत उस समय हुई, जब गांव की महिलाओं ने पारंपरिक उत्पादों और हस्तशिल्प को मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत करने की सोची। जहां पहले महिलाएं सिर्फ घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, वहीं आज वे स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उत्पाद निर्माण, बिक्री और ब्रांडिंग तक के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
मंदिर के आंगन में ग्रामीण बाजार
“हिम ईरा शॉप” मंदिर प्रांगण के पास ही स्थापित है। इस दुकान में बांस से बनी टोकरियां, हाथ से बुने ऊनी जैकेट, देशी घी, हल्दी, राजमाह, मोटे अनाज के बीज, अचार–मसाले, और हस्तनिर्मित सजावटी वस्तुएं जैसे लगभग 20 पारंपरिक उत्पाद उपलब्ध हैं। शॉप का मासिक कारोबार अब 25–30 हजार रुपए तक पहुंच गया है, जिससे समूह की वार्षिक आमदनी करीब 2 लाख रुपए हो चुकी है।
सांस्कृतिक पहचान का केंद्र
यह शॉप सिर्फ एक व्यावसायिक केंद्र नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मंच भी बन चुकी है। हर उत्पाद के साथ जुड़ी लोक कहानियां, रीति–रिवाज, और पारंपरिक तकनीकें न केवल पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि यह अगली पीढ़ियों के लिए भी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का कार्य कर रही हैं।
डिजिटल युग की ओर बढ़ते कदम
समूह की महिलाएं अब तकनीक की ओर भी कदम बढ़ा रही हैं। “हिम ईरा” को जल्द ऑनलाइन मार्कीट प्लेस, ई-कॉमर्स पोर्टल और सोशल मीडिया प्रचार के माध्यम से राज्य की सीमाओं से बाहर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए डिजिटल प्रशिक्षण, ब्रांडिंग, उत्पाद लेबलिंग, और पैकेजिंग पर केंद्रित वर्कशॉप्स आयोजित की जा रही हैं।
भविष्य की योजनाएं
“गंगा स्वयं सहायता समूह” की प्रधान त्वारकू देवी बताती हैं कि समूह भविष्य में स्थानीय कारीगरों को नई तकनीक, डिजाइन और गुणवत्ता नियंत्रण की ट्रेनिंग देने की भी योजना बना रहा है। इसके साथ ही महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को ब्रांड पहचान देना, आकर्षक पैकिंग विकसित करना और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार बढ़ाना भी प्राथमिकताओं में है।
देशभर से मिल रहा समर्थन
“हिम ईरा शॉप” अब सिर्फ स्थानीय पहचान नहीं रही, बल्कि पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, और पश्चिम बंगाल से आने वाले श्रद्धालु भी यहां के ऊनी वस्त्र और हस्तनिर्मित उत्पादों को बड़ी सराहना दे रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि ग्रामीण शिल्प को उचित मंच और गुणवत्ता मिल जाए तो वह बड़े बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
महिलाओं की जुबानी बदलाव की कहानी
स्वयं सहायता समूह की सदस्य पवना ठाकुर बताती हैं कि पहले हम घर की दहलीज भी पार नहीं करती थीं, लेकिन अब हम अपने बनाए उत्पाद खुद बेचते हैं। इससे हमें मुनाफा भी हो रहा है और आत्मविश्वास भी बढ़ा है। मैं वर्तमान मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करती हूं, जिनके सहयोग से हम यह परिवर्तन देख पा रहे हैं। समूह की प्रधान त्वारकू देवी कहती हैं कि शुरुआत में हमें खुद विश्वास नहीं था कि यह काम सफल होगा, लेकिन श्री माहूंनाग के आशीर्वाद से आज हम सब महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। अब हम ‘हिम ईरा’ को एक राष्ट्रीय ब्रांड बनाना चाहते हैं।
संस्कृति संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का अनूठा संगम है “हिम ईरा शॉप”
“हिम ईरा शॉप” न सिर्फ एक व्यावसायिक पहल है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर भी है। यह मॉडल देशभर के अन्य ग्रामीण समुदायों के लिए प्रेरणा बनकर उभरेगा, जहां गांव की बेटियां और महिलाएं अपनी मेहनत व हुनर से आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वावलंबन दोनों पा रही हैं।
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