फरीदाबाद से 385 KM दूर शिमला पहुंची मानसिक राेगी महिला के लिए हरियाणा पुलिस बनी फरिश्ता (Video)

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2020 - 09:01 PM (IST)

शिमला (तिलक राज): फरिदाबाद से शिमला की दूरी करीब 385 किलोमीटर है और सागर कुमारी को पता ही नहीं चल पाया कि वह घूमते हुए कब अपने घर से इतने दूर जा पहुंच। 27 वर्षीय सागर कुमारी की मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं है, ऐसे में वह अपने घर से चल तो पड़ी थी लेकिन उसे नहीं पता था कि वह इतनी दूर आ जाएगी। सागर कुमारी जब घर से चली थी तो अपने साथ अपनी 7 महीने की बच्ची राधिका को लेकर आई थी लेकिन अब बच्ची कहां है उसे याद नहीं। नवम्बर माह में कुफरी से जब शिमला पुलिस ने सागर कुमारी को रैस्क्यू किया तो उस वक्त वो अकेली थी। सागर कुमारी के परिवार में उसका पति, 3 बच्चे और सास-ससुर हैं। पति फरिदाबाद में रहता है और वहां एक फैक्टरी में करता है। अनीता और मनीष नाम के 2 बच्चे उसके पास ही हैं जबकि सागर कुमारी 7 महीने की बच्ची राधिका को अपने साथ ले आई थी जोकि अब लापता है।
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पति मनोज ने फरिदाबाद पुलिस स्टेशन में 22 जून को पत्नी और बच्ची के गुम होने की एफआईआर दर्ज करवाई थी लेकिन कोई सुराग न मिलने के चलते पुलिस ने केस बंद कर दिया था। नवम्बर, 2019 में सागर कुमारी को कुफरी से रैस्क्यू कर मशोबरा के नारी सेवा सदन में रखा गया था। उस समय उसकी हालत काफी दयनीय थी। सदन की इंचार्ज सुषमा ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला के एएसआई राजेश कुमार को 2 फरवरी को महिला के बारे में जानकारी दी और पुलिस ने 6 घंटे के अंदर ही महिला के परिवार को ढूंढ निकाला और यूनिट 10 फरवरी को महिला के पति को लेकर शिमला पहुंची और उसे उसके परिवार से मिलाया। मनोज अपनी पत्नी के मिलने की सारी उम्मीद छोड़ चुका था, ऐसे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला उनके लिए फरिशता बन कर आई है, ऐसे में उन्हें अब ये उम्मीद भी है कि उनकी बेटी राधिका को भी पुलिस ढूंढ निकालेगी।
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एएसआई राजेश कुमार ने बताया कि जब सागर कुमारी की जानकारी मिली तो हरियाणा पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए उसके बारे में जानकारी इकट्ठी करनी शुरू की। पता चला कि सागर कुमारी बिहार के शताब्दीयारा गांव की रहने वाली है और अपने पति मनोज के साथ फरीदाबाद में रह रही थी। वहीं फरीदाबाद पुलिस महिला का केस बंद कर चुकी थी। एएसआई राजेश कुमार ने बताया कि उन्होंने पुलिस स्टेशन से महिला के पति का नम्बर लिया और शिमला नारी सेवा सदन में रह रही उसकी पत्नी का फोटो भेजा। पति ने उसे पहचान लिया और पुलिस का धन्यवाद किया। किसी को भी उम्मीद नहीं थी की महिला इस तरह से शिमला में मिलेगी। वहीं पुलिस ने 7 महीने की बच्ची राधिका को ढूंढने का जिम्मा भी उठा लिया है, ऐसे में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के सभी शिशु गृह में बच्ची के बारे में पूछताछ की जाएगी। उसके बाद अन्य राज्यों में भी ये प्रकिया अपनाई जाएगी।
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हरियाणा पुलिस तो अपना काम बाखूबी निभा रही है और सैंकड़ों बिछड़े परिवारों को मिला रही है लेकिन सवाल ये उठता है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस और वो विभाग क्या कर रहे हैं जिनके अंतर्गत प्रदेश भर के शैल्टर होम्स आते हैं और हिमाचल एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंंग यूनिट क्या कर रहा है। क्या उसका काम बस इतना है कि वे गुमशुदा लोगों को सड़क से उठाकर शैल्टर होम पहुंचाए। क्या इतने में ही उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। क्यों प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ देता है।
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पिछले 2 वर्षों से हरियाणा पुलिस हिमाचल से करीब 27 लोगों को रैस्क्यू कर अपने परिवार से मिला चुकी है तो हिमाचल पुलिस क्या कर रही है। हरियाणा पुलिस से हिमाचल प्रशासन ने अभी तक कुछ क्यों नहीं सीखा। अकेले मशोबरा के नारी निकेतन में करीब 33 इन्मेट्स हैं। तो अंदाजा लगाइए कि पूरे प्रदेश में कितने लोग होंगे, जिनमें से ज्यादातर बाहरी राज्यों के ही हैं लेकिन न तो प्रदेश सरकार, न पुलिस प्रशासन और संबंधित विभाग ने अब तक कुछ कदम उठाए हैं।


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Vijay

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