सरकार को ना मीडिया की चिंता, ना अभिभावकों की: राजेंद्र राणा
punjabkesari.in Saturday, Mar 20, 2021 - 05:57 PM (IST)
हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में मीडिया की अनदेखी करने और फीस नियंत्रण के मामले में निजी स्कूलों के दबाब के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाया है। राजेंद्र राणा ने इन दोनों मामलों को बहुत संवेदनशील करार दिया है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि कोरोना महामारी के चरम के समय भी मीडिया कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोकतंत्र के चैथे स्तंभ होने का फर्ज निभाया था और कई मीडिया कर्मी भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। अब जबकि वैज्ञानिकों के प्रयासों के चलते कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो गई है तो सरकार को चाहिए कि राज्य मुख्यालय व जिला मुख्यालय से लेकर विभिन्न शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे मीडिया कर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर करोना से बचाव के टीके लगाए जाएं। उन्होंने कहा इस टीकाकरण अभियान में मीडिया कर्मियों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए लेकिन सरकार का रवैया इस मामले में असंवेदनशील है।
इसके अलावा राजेंद्र राणा ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह निजी स्कूलों के दबाव में आकर फीस नियंत्रण का कानून नहीं बनाना चाहती और इस मामले को लगातार लटका रही है। उन्होंने कहा यह बड़े आश्चर्य की बात है कि एक साल से सरकार बड़े जोर शोर से यह ढिंढोरा पीट रही थीं कि फीस नियंत्रण के लिये कानून लाया जाएगा । अब जब कानून विधानसभा में लाने की बारी आई तो सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। उन्होंने कहा यह बड़े हैरत की बात है कि सरकार को कानून का मसौदा बनाने के बाद मंथन की आवश्यकता पड़ रही है। उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या पिछले एक साल के दौरान सरकार सिर्फ अभिभावकों को बहलाने के लिए फीस नियंत्रण के लिए कानून बनाने का राग अलाप रही थी या फिर सरकार का यह राग भी एक जुमला ही था। राणा ने कहा कि एक तरफ सरकार अभिभावकों के साथ अनदेखी ना होने का दावा कर रही है जबकि दूसरी तरफ हकीकत यह है कि निजी स्कूलों ने फीस वृद्धि कर दी है और अभिभावकों को 31 मार्च, 2021 तक ये बड़ी हुई फीस जमा करवाने के फरमान स्कूलों से आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इससे संदेह पैदा होता है कि सरकार इन स्कूलों के दबाव में अब कानून के मसौदे को मंथन करने के नाम पर टाल रही है ताकि निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाया जा सके।