शहीद बेटे के नाम 18 साल से जंग लड़ रहा पूर्व सैनिक रुमेल चंद, पढ़ें खबर

punjabkesari.in Thursday, Jul 26, 2018 - 09:25 PM (IST)

लंज: सरकार की नीति और अर्थव्यवस्था इस कद्र चरमरा चुकी है कि जहां 85 साल के पूर्व सैनिक की भागदौड़ व बेटे की देश के नाम कुर्बानी भी उसे नहीं पिघला पा रही है। शाहपुर के भनाला गांव के सेवानिवृत्त सूबेदार रूमेल सिंह सम्बयाल शहीद बेटे पवन कुमार के नाम की जंग लड़ रहे हैं। आर्मी में लंबा समय बिता चुके रूमेल सिंह ने सेना में जाने का जज्बा 3 बेटों में भी जगाया और तीनों भर्ती भी हुए।


जम्मू-कश्मीर में शहीद हुआ था छोटा बेटा
कारगिल युद्ध के बाद घर छुट्टी आए एक बेटे नायक अर्जुन सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। इस दर्द से रूमेल सिंह व उनका परिवार ऊबर भी नहीं पाया था कि 11 माह बाद 29 अगस्त, 2001 को उनके सबसे छोटे बेटे पवन कुमार के जम्मू-कश्मीर में शहीद होने का समाचार आ गया। पवन कुमार की शहादत के बाद सरकार ने रूमेल सिंह को 3 लाख की आर्थिक मदद दी। पूर्व सैनिक ने इनमें से 2 लाख पालमपुर में वी.एम.आर.टी. के बन रहे अस्पताल के लिए दे दिए तो एक लाख राजकीय मिडल स्कूल भनाला जोकि अब हाई स्कूल बन चुका है, उसके लिए दिए।


बेटे के नाम पर करवाना चाहते हैं स्कूल का नामकरण
शहीद के पिता ने कहा कि मेरे पिता भी सेना में थे, मैंने भी सेना में सेवाएं दीं और तीनों बेटे भी देश सेवा में लगा दिए। छोटा बेटा शहीद हुआ। जो मदद मिली उसे समाजसेवा में लगा दिया। मैंने सरकार से न मदद मांगी, न ही नौकरी। केवल इतनी चाहत रही कि गांव के स्कूल का नामकरण बेटे के नाम पर हो जाए लेकिन नहीं किया गया। मैंने कभी हारना नहीं सीखा लेकिन अब सरकारी व्यवस्था के आगे लग रहा है कि मैं हार रहा हूं।


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Vijay

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