बोह वैली जलजले की पहली बरसी, आज भी हरे हैं पीड़ितों के जख्म, सुनिए दर्द...

punjabkesari.in Tuesday, Jul 12, 2022 - 04:45 PM (IST)

कांगड़ा (पूजा): शाहपुर विधानसभा की रुलेहड़ पंचायत में बरपे कुदरत के कहर को आज पूरा एक साल बीत गया है। इस हादसे में 10 जिंदगियां मलबे में दफन हो गईं थीं। इतना ही नहीं, कई लोग इस हादसे में बेघर भी हो गए, उन्हें आज तक सरकार व जिला प्रशासन से मात्र फौरी राहत के सिवाय कुछ नहीं मिला है। भले ही सरकार व जिला प्रशासन बोह हादसे को भूल गए हों लेकिन आज के दिन पीड़ित परिवारों के जख्म हरे हो गए हैं। बताते चलें कि शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की पहाड़ी बैल्ट धारकंडी के दुर्गम पर्यटन क्षेत्र बोह वैली की रुलेहड़ पंचायत के उस गांव में पूरे एक साल के बाद आज फिर से अचानक हलचल देखी गई है। आज कुछ उभरते हुए नेतागण और जनप्रतिनिधियों ने फिर से इस जलजले से प्रभावित क्षेत्र का दौरा करके पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनके परिवार के दिवंगत सदस्यों की आत्मा की शांति के लिए हवन यज्ञ, पौधारोपण और रक्तदान शिविरों का आयोजन किया। 
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सवालों के घेरे में ही रहते हैं सरकार व प्रशासन के आश्वासन 
काबिलेगौर है कि प्राकृतिक आपदा से पहले सरकार और प्रशासन की ओर से लोगों को अलर्ट करने की वर्षों पुरानी रिवायत चली आ रही है और इसके लिए बाकायदा हर वित्त वर्ष में अलग से बजट का भी प्रावधान किया जाता है। इतना ही नहीं, केंद्र की ओर से भी होने वाले नुकसान का आकलन करके पुनर्वासन के लिए करोड़ों रुपए दिए जाते हैं, बावजूद इसके घटना घटित हो जाने के बाद सरकार व प्रशासन जो मौके पर आकर आश्वासन का राशन देकर जाते हैं, वो अमूमन सवालों के घेरे में ही रहते हैं। एक साल गुजर जाने के बाद भी शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र की रुलेहड़ पंचायत में सरकार के आश्वासनों की जमीनी हकीकत महज हाथी के दांत खाने के कुछ और और दिखाने के कुछ और ही नजर आ रही। इतना ही नहीं पिछले साल हुए हादसे में अभी तक सड़क मार्ग को भी दुरुस्त नहीं किया गया है। अभी भी बोह के लोगों को गाड़ियों को धक्का लगा कर आगे चलाना पड़ता है।
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पौधा रोपण व हवन कर दी मृतकों को श्रद्धांजलि
शाहपुर के समाजसेवी और भाजपा नेता कमल शर्मा ने कहा कि आज रुलेहड़ पहुंचकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिये हवन यज्ञ करके मृतकों के नाम का एक-एक पौधा रोपित किया है। उन्होंने बताया कि इन लोगों के साथ जो हुआ वो किसी के साथ न हो। आज चाहे जैसी भी स्थिति हो हम इन परिवारों के साथ खड़े हैं और इनके पुनर्वासन के लिए निजी स्तर पर भी सहयोग करते रहेंगे।
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क्या कहतें हैं पीड़ित परिवार
रुलेहड़ पंचायत के इस गांव में आज से ठीक एक साल पहले इतना जलजला आया था कि यहां से देखते ही देखते एक गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था, सुबह के वक्त घरों के ऊपर पहाड़ी गिरने के बाद जिस शख्स ने भी इस मंजर को देखा वो सिर्फ चीखने-चिल्लाने के और कुछ सोच समझ नहीं पाया। इस हादसे में कुछ परिवारों के 10 सदस्य जिसमें भीमसेन नाम के पारिवारिक मुखिया के घर के एक साथ पांच सदस्य और अन्य 5 लोग मलबे के नीचे दब कर जिंदगी की जंग हार गए थे, उन्हें एनडीआरएफ की टीम ने करीब 12 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला था जबकि कई परिवार बेघर हो गए थे, जिन्हें सरकार ने पूर्वासित का उस वक्त आश्वासन दिया था मगर आज जमीनी हकीकत ये है कि इन लोगों को आज दिन तक पुनर्वासन के नाम पर महज लॉलीपॉप हासिल हुआ है। इस हादसे में अपनों को खो चुके प्रकाश चन्द, करतार चन्द समेत दूसरे लोगों की मानें तो सरकार ने जो दावे किए थे उनकी हकीकत मात्र न के बराबर है।

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Content Writer

Vijay

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