Kangra: आरठ झिकली की बेटी दीक्षा ने एक साथ 6 स्थानों पर चयनित होकर दिखाया काबलियत का दम
punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2024 - 11:00 AM (IST)
परौर: मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों में उड़ान होती है। इन पंक्तियों को जिला कांगड़ा की तहसील पालमपुर के तहत आरठ झिकली (घिसनपट्ट) गांव की होनहार बेटी दीक्षा कपूर ने चरितार्थ कर दिखाया है। दीक्षा कड़ी मेहनत से सपनों को साकार करते हुए एक नहीं बल्कि केंद्र सरकार के 6 स्थानों के लिए एक अधिकारी के रूप में चयनित हुई है। इस बेटी की सफलता की कहानी उन लोगों के मुंह पर भी तमाचा है जो अपने परिवार का भविष्य बेटियों में नहीं बल्कि बेटीं में तलाशते हैं। होनहार दीक्षा ने साबित कर दिखाया कि आधुनिक दौर में बेटियां किसी से कम नहीं हैं। दीक्षा की सफलता पर गांव ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में चर्चा हो रही है। इस अप्रत्याशित सफलता पर दीक्षा व उसके परिवार को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। दीक्षा के पिता धर्म चंद कपूर परौर में दुकान करते हैं, जबकि माता रैना कपूर आरठ, लाहला व हंगलो वार्ड की पूर्व ब्लॉक समिति सदस्य रह चुकी हैं।
दीक्षा काे बेस अस्पताल व काॅलेज दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर, केन्द्रीय सुरक्षा बल जम्मू वन तालाब में इंस्पैक्टर व एम्स दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर पद के लिए ज्वाइनिंग लैटर आ चुके हैं, जबकि दीक्षा ने डाॅ. राम मनोहर लोहिया काॅलेज लखनऊ की परीक्षा में देशभर में 5वां रैंक, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर की परीक्षा में देशभर में 37वां रैंक व एम्स मंग्लागिरी में नर्सिंग ऑफिसर की परीक्षा में देशभर में 1603वां रैंक हासिल किया है। दीक्षा ने 10वीं व जमा दो की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला परौर से करने के उपरांत वर्ष 2015-19 में एम्स ऋषिकेश से डिग्री व आईजीएमसी शिमला से वर्ष 2020-22 में पोस्ट ग्रैजुएशन की है।
मेहनत से ही साकार हो सकते हैं सपने : दीक्षा
दीक्षा ने कहा कि मेहनत से ही सपनों को साकार किया जा सकता है। लक्ष्य पाने के लिए सपने दिन में देखने चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें एक साथ 6 स्थानों से ऑफर मिले हैं, लेकिन वह बेस अस्पताल व कालेज दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर व एम्स दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर पद में से किसी एक को चुनेगी।
माता-पिता को बेटी पर नाज
दीक्षा के पिता धर्म चंद कपूर व माता रैना कपूर ने कहा कि बेटी की कड़ी मेहनत ने उन्हें गौरवान्वित किया है, यह सफलता परिवार के लिए फख की बात है। बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं, बल्कि आज बेटियां निरंतर सफलता के झंडे गाड़ रही हैं।
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