Himachal: युग हत्याकांड के 2 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, एक आराेपी बरी
punjabkesari.in Tuesday, Sep 23, 2025 - 02:24 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के चर्चित युग हत्याकांड में निचली अदालत के मृत्युदंड के आदेश को पलट दिया है। सत्र न्यायाधीश द्वारा 'दुर्लभ से दुर्लभतम' करार दिए गए इस मामले में हाईकोर्ट ने 2 दोषियों चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है, जबकि एक सह-आरोपी तेजिंदर पाल को बरी कर दिया गया है।
बता दें कि 5 सितम्बर, 2018 को शिमला की सत्र अदालत ने इस अपराध की क्रूरता को देखते हुए तीनों को फांसी की सजा दी थी। दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। बचाव पक्ष के वकीलों ने दोषियों की उम्र, जेल में उनके व्यवहार और पारिवारिक स्थिति का हवाला देते हुए मृत्युदंड न दिए जाने मांग की थी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने इन दलीलों और मामले के तथ्यों पर पुनर्विचार करते हुए यह फैसला सुनाया। हालांकि, विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि कोर्ट ने किन आधारों पर फांसी की सजा को अनुचित माना।
बता दें कि 14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार से 4 साल के बच्चे युग काे उसके ही 3 पड़ोसियों ने ही फिरौती के लिए अगवा कर लिया था। तीनों ने युग के पिता से साढ़े तीन करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। जब फिरौती नहीं मिली, तो उन्होंने पत्थरों से बांधकर उसे जिंदा ही पानी से भरे टैंक में फैंक दिया था। अपहरण के 2 साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ था। इस बर्बर घटना ने पूरे हिमाचल को हिलाकर रख दिया था। उस दाैरान पूरे प्रदेश में मासूम युग को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जगह-जगह कैंडल लाइट जलूस निकाले गए और प्रदर्शन हुए थे।
सीआईडी ने इस मामले में 25 अक्तूबर 2016 को चार्जशीट दायर की और निचली अदालत ने रिकॉर्ड साढ़े 10 महीने में सुनवाई पूरी कर 2018 में तीनों को फांसी की सजा दी थी, लेकिन हाईकोर्ट में अपील पर फैसले में 6 साल का समय लग गया। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद युग का परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की अंतिम लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।
पिता विनोद गुप्ता ने रुंधे गले से कहा कि निचली अदालत ने जब फांसी की सजा दी थी, तो उन्हें न्याय की उम्मीद जगी थी, लेकिन अब वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि वे इस लड़ाई को यहीं खत्म नहीं करेंगे और अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।