Himachal: महिलाओं से ज्यादा पुरुष क्यों चुन रहे मौत को... जानिए क्या है कारण
punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 02:37 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, प्रदेश में हर साल आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, और इनमें से अधिकतर मामलों में शिक्षित लोग शामिल हैं। विशेष रूप से 12 से 30 वर्ष और 31 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोग इन घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक आत्महत्या कर रहे हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो, प्रदेश में हर साल औसतन 700 से 800 आत्महत्या के मामले दर्ज हो रहे हैं। साल 2020 में यह आंकड़ा 857 तक पहुंच गया था, जबकि 2021 में यह बढ़कर 889 हो गया। हालांकि 2022 में मामलों में थोड़ी कमी देखी गई, लेकिन 2023 और 2024 में यह फिर से बढ़ गए। इन आंकड़ों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से काफी अधिक है। 2024 में 793 मामलों में से 565 पुरुष और 228 महिलाएं थीं।
जिला-वार देखें तो, कांगड़ा और मंडी जिलों में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। परीक्षा परिणामों के दौरान, खासकर 10वीं और 12वीं के नतीजों के समय, आत्महत्या के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी जाती है।
क्या हैं आत्महत्या के मुख्य कारण?
मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण "मानसिक दबाव" है। यह दबाव विभिन्न रूपों में हो सकता है, जैसे:
घरेलू कलह: परिवार में तनाव और झगड़े मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
आर्थिक समस्याएं: घर की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, कर्ज का बोझ, और नौकरी न मिलना युवाओं में निराशा पैदा कर रहा है।
रिश्तों में असफलता: प्यार में धोखा या प्रेम विवाह में समस्याएं भी एक बड़ा कारण है।
शैक्षणिक दबाव: पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन न कर पाना या मनचाही नौकरी न मिलना भी आत्महत्या की वजह बन रहा है।
नशे की लत: नशे की प्रवृत्ति भी मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर रही है और लोगों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर रही है।
विशेषज्ञों की सलाह
आईजीएमसी शिमला के मनोरोग विभागाध्यक्ष, डॉ. दिनेश शर्मा के अनुसार, वर्तमान पीढ़ी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। वे कहते हैं कि अभिभावकों को अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें न केवल उनकी समस्याओं को समझना चाहिए, बल्कि उनका सहयोग भी करना चाहिए। बचपन से ही बच्चों को हर मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना बेहद जरूरी है। हमें बच्चों की इच्छाओं और रुचियों का सम्मान करना चाहिए, ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकें।
यह हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए, जो मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं।