Himachal: वार्षिक परीक्षा के दौरान सिर से उठा पिता का साया, फिर भी पाया प्रदेश में पहला स्थान
punjabkesari.in Saturday, May 17, 2025 - 06:28 PM (IST)

दौलतपुर चौक (परमार): पिता का साया जब सिर से उठ जाता है तो बच्चों का हौसला टूट जाता है। मासूम बच्चे गुमनामी के साये में चले जाते हैं लेकिन सैंट डीआर पब्लिक स्कूल गगरेट की जमा दो की छात्रा महक की दाद देनी पड़ेगी, जिसने डंके की चोट पर जिस तरह सफलता की इबारत लिखी है, ऐसा इतिहास विरले बच्चे ही लिख पाते हैं। मरवाड़ी निवासी महक ने जमा दो नाॅन-मैडीकल के घोषित परीक्षा परिणाम में प्रदेश भर में पहला स्थान हासिल किया है।
महक ने घर में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हौसला नहीं खोया, बल्कि मेहनत के बलबूते 97.2 फीसदी अंक लेकर अपनी कुशाग्र बुद्धि के दम पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। मार्च माह में जब महक की वार्षिक परीक्षाएं चल रही थीं, ठीक उसी दौरान महक के पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। यही नहीं, इसी बीच उनके बीमार पिता को दौलतपुर चौक से लेकर लुधियाना के अस्पतालों में दाखिल करवाना पड़ा। इसे कुदरत की विडंबना ही कहेंगे कि जब महक की परीक्षाएं चल रही थीं तो पिता नसीब कुमार (49) का अल्पायु में ही निधन हो गया और महक के सिर से पिता का साया छिन गया।
घर में कोहराम मच गया। इसके बावजूद बोर्ड की परीक्षा का सामना कर रही बेटी महक ने न हिम्मत हारी और न ही विचलित हुई, बल्कि उसने मानों परिवार में चट्टान की तरह खड़े होकर दृढ़ संकल्प के साथ अपनी पढ़ाई पर लक्ष्य केन्द्रित किया। यह ऐसा नाजुक दौर था, एक तरफ पिता चल बसे और दूसरी तरफ पहाड़ जैसी जिंदगी की परीक्षा थी। ऐसी स्थिति में जब बड़े-बड़े हिम्मती लोग हौसला हार जाते हैं तो इस होनहार बेटी ने बुलंद हौसले से सफलता की ऐसी इबारत लिखी, जिसने अपने पिता नसीब कुमार का नाम प्रदेश भर में रोशन कर दिया।
महक की सफलता की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों में हार जाते हैं और जिंदगी को कोस कर भगवान के भरोसे छोड़ कर गुमनामी के अंधेरे में चले जाते हैं। महक का छोटा भाई 9वीं कक्षा में पढ़ रहा है। इस मौके पर प्रदेश भाजपा सचिव एवं पूर्व विधायक राजेश ठाकुर ने महक की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए मुंह मीठा करवा कर सम्मानित किया। महक की माता गुरदेव कौर टीजीटी आर्ट्स मरवाड़ी, ताया संजीव कुमार मरवाड़ी स्कूल में प्रवक्ता, ताई मीना कुमारी हैड टीचर और दादी कैलाश देवी (79) ने महक के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए व शाबाशी देते हुए कहा कि उन्हें अपनी होनहार बेटी पर नाज है। महक अब बीएससी करेगी। उसका लक्ष्य शिक्षिका बनकर सुशिक्षित समाज की परिकल्पना को साकार करना है।