नवरात्र मेलों को लेकर रंग-बिरंगे फूलों से सजाया मां चिंतपूर्णी का दरबार

punjabkesari.in Wednesday, Oct 06, 2021 - 06:24 PM (IST)

चिंतपूर्णी (राजन): उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी मंदिर में असूज नवरात्र मेले शुरू हो गए हैं। जिला एवं मंदिर प्रशासन द्वारा मेले की सभी तैयारियों को पुख्ता प्रबंधों का दावा किया गया है। असूज नवरात्र मेले 7 से 14 अक्तूबर तक चलेंगे। मंदिर प्रशासन द्वारा समूचे मंदिर परिसर को भी रंग-बिरंगे फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया है। मेले के दौरान 500 से ज्यादा पुलिस और होमगार्ड के जवान अपनी सेवाएं देंगे और व्यवस्था को संभालेंगे। कोविड के चलते इस बार प्रदेश सरकार द्वारा सभी श्रद्धालुओं को मेले के दौरान अपनी वैक्सीन रिपोर्ट साथ लेकर आने के आदेश जारी किए गए हैं। रिपोर्ट लाने पर ही प्रदेश की सीमा पर अनुमति मिलेगी। मेले के दौरान मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन पर्ची अनिवार्य की गई है। इसके लिए 3 स्थानों पर दर्शन पर्ची काऊंटर लगाए गए हैं। इसके अलावा 3 स्थानों पर भक्तों को पीने के पानी पिलाने की व्यवस्था की गई है।

लंगर पर है पूर्ण प्रतिबंध

मंदिर प्रशासन द्वारा इस बार लंगर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा सड़कों पर रेहड़ी-फड़ी वालों को भी हटा दिया गया है। समूचे मेले को चार सैक्टरों में विभाजित किया गया है। सभी सैक्टरों में नायब तहसीलदारों को तैनात किया गया है। मंदिर प्रशासन द्वारा मेले क्षेत्र को साफ रखने के लिए अस्थायी सफाई कर्मचारी भी तैनात कर दिए गए हैं। मेले के दौरान यात्री अपने जूते-चप्पल अपने वाहनों में उतार कर आएं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को कंजक पूजन करने पर प्रतिबंध रहेगा।

कड़ाह प्रसाद और नारियल ले जाने पर रहेगा प्रतिबंध

डीसी ऊना राघव शर्मा ने बताया कि मेले के दौरान कोविड नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मेले की सभी तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं। डीसी ऊना राघव शर्मा ने मेले के दौरान बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को शांतिपूर्वक ढंग से माता रानी के दर्शन करने और कोविड नियमों का पालन करने की अपील की है। जिलाधीश ऊना ने बताया कि मेले के दौरान मंदिर में कड़ाह प्रसाद और नारियल ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने बताया कि यात्री सूखा प्रसाद, ड्राई फ्रूट मेवा आदि लेकर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।

नियम तोड़े तो होगी कड़ी कार्रवाई

मेले के दौरान मंदिर में हवन-यज्ञ और भजन कीर्तन पर प्रतिबंध रहेगा। इसके अलावा धर्मशालाओं में 50 प्रतिशत तक श्रद्धालु ठहर सकेंगे। मेले के दौरान न तो पुजारी यात्रियों को प्रसाद वितरित करेंगे और न ही कोई पुजारी श्रद्धालुओं को मोली बंधेगा। नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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Content Writer

Vijay

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