Una: स्वर्गीय प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की जयंती पर सूफी गायक लखविंदर वडाली ने सजाई सुरों की महफिल

punjabkesari.in Sunday, Sep 29, 2024 - 07:33 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): प्रख्यात शिक्षाविद् स्वर्गीय प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के 56वीं जयंती पर रविवार को हरोली के काॅलेज परिसर में आयोजित ‘एहसास’ कार्यक्रम में उनकी पुण्य स्मृतियों को नमन किया गया। प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री फाऊंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूफी गायक लखविंदर वडाली ने अपनी रूहानी गायकी से स्मृतियों के ‘एहसास’ को सुरों से महकाया। कार्यक्रम में प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के पति उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, उनकी बेटी डाॅ. आस्था अग्निहोत्री और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों ने प्रो. सिम्मी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उपमुख्यमंत्री के भाई डाॅ. राकेश अग्निहोत्री सहित सभी परिजन, पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री रैंक) आरएस बाली, विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, सीपीएस आशीष बुटेल, विधायक विवेक शर्मा, हरदीप बावा तथा नीरज नैयर, पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार, पूर्व सीपीएस नीरज, पूर्व विधायक अजय महाजन, हमीरपुर से विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे डाॅ. पुष्पेंद्र वर्मा, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रणजीत सिंह राणा, प्रदेश कांग्रेस सचिव अशोक ठाकुर, जिला ओबीसी सैल के अध्यक्ष प्रमोद कुमार, कांग्रेस पार्टी नेता महेश्वर चौहान, धर्मेंद्र धामी सहित पार्टी के अन्य पदाधिकारी, डीसी जतिन लाल, पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह सहित अन्य अधिकारियों तथा गण्यमान्यों व बड़ी संख्या में स्थानीय जनता सहित प्रदेश भर से आए लोगों ने प्रो. सिम्मी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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शिक्षा के क्षेत्र में प्रो. सिम्मी की उपलब्धियां हर बच्ची के लिए प्रेरणादायक : आस्था
डाॅ. आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रो. सिम्मी की उपलब्धियां हर बच्ची को प्रेरणा देने वाली हैं। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि कोई व्यक्ति जीवन में कहां पहुंचेगा, क्या मुकाम हासिल करेगा, ये जीवन की बाधाओं में आगे बढ़ते जाने का जज्बा और आपके कर्म, संघर्ष और मेहनत तय करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री का जीवन एक दीपक की तरह था जिन्होंने अनगिनत जीवनों को रोशन किया। वे एक साधारण परिवार में जन्मी, लेकिन अपनी मेहनत, संघर्ष और आगे बढ़ने के जुनून से उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बड़ी से बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के निधन के बाद दुख की घड़ियों में मजबूत साथ के लिए हरोली सहित सभी हिमाचल वासियों का धन्यवाद किया।
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29 सितम्बर, 1968 को मंडी में हुआ था जन्म
29 सितम्बर, 1968 को मंडी में जन्मी प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री का नाम शिक्षा के आकाश में एक नक्षत्र की तरह चमकता रहेगा। वे 9 फरवरी, 2024 को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके माता श्री चिंतपूर्णी की दिव्य ज्योति में विलीन हो गईं। हरोली कालेज का नामकरण प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के नाम पर करना, यहां पढ़ने वाले हर विद्यार्थी के लिए ज्ञान की वृहद परंपरा से जुड़ने और असाधारण शैक्षणिक कर्त्तव्य संपन्न व्यक्तित्व से जुड़ने का गौरव प्रदान करता है।

शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान
प्रो. सिम्मी ने राजकीय कन्या विद्यालय से स्कूली पढ़ाई और वल्लभ डिग्री काॅलेज मंडी से ग्रैजुएशन के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमफिल और पीएचडी की। स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल रहने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिलने का जो सिलसिला आरंभ हुआ वो पीएचडी पर्यंत जारी रहा। वह छोटी ही आयु में वर्ष 1998 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं। उनकी असाधारण अकादमिक यात्रा ने उन्हें एक आदर्श शिक्षाविद् के रूप में स्थापित किया। प्रो. सिम्मी के विद्वतापूर्ण लेख और शोध पत्र न केवल शिक्षा की दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी बहुत मजबूत और गहन विचार प्रस्तुत करते हैं।
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अपने ज्ञान और अनुभव से अनगिनत जीवन किए रोशन
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफैसर के रूप में अपने ज्ञान और अनुभव से उन्होंने अनगिनत जीवनों को रोशन किया। विभाग की 3 बार चेयरपर्सन रहते हुए उन्होंने न केवल अपने विषय में गहराई से योगदान दिया बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी एक नई दिशा दिखाने का काम किया। प्रो. सिम्मी के विशद ज्ञान और अनुभव की अनुगूंज केवल विश्वविद्यालय तक या प्रदेश तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने यूजीसी के कितने ही सम्मेलनों में भाग लेकर और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक मंचों पर अनेक बार भारतीय शिक्षा का प्रतिनिधित्व कर भारत का नाम रोशन किया।

वियतनाम इंटरनैशनल अचीवर्स अवार्ड सहित कई सम्मान प्राप्त हुए
पिछले साल उन्हें शिक्षा और शोध के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वियतनाम इंटरनैशनल अचीवर्स अवार्ड से भी अलंकृत किया गया था। उन्हें देश की नामी संस्थाओं ने अंतर्राष्ट्रीय बैस्ट टीचर अवार्ड, वूमैन अचीवर अवार्ड और नारी शक्ति अवार्ड सहित न जाने कितने अलंकरणों से नवाजा। उनकी लिखी एक पुस्तक का विमोचन उनके निधन से कुछ दिन पहले ही माननीय राज्यपाल के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ था। ये शिक्षा क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान की ही तस्दीक है कि उनकी मृत्यु के बाद भी कई विश्वविद्यालयों द्वारा उनके लिए मानद डिग्रियां प्रदान की गईं। प्रो. सिम्मी आस्था फाऊंडेशन के नाम से एक एनजीओ का संचालन कर रही थीं।

स्नेह, समझदारी व सीख का भंडार थीं प्रो. सिम्मी
पत्नी के रूप में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का संबल बनी प्रो. सिम्मी सबके लिए स्नेह, समझदारी व सीख का भंडार थीं। इरादों की ऐसी अटल कि लगातार 5 बार विधायक के रूप में रिकॉर्ड मतों से विजयी रहे अग्निहोत्री की पांचों जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाली प्रो. सिम्मी नंगे पांव माता चिंतपूर्णी, माता ज्वालामुखी और माता बगलामुखी के दरबार शीश नवाने घर से पैदल पहुंचती थीं। प्रो. सिम्मी ने अपनी इकलौती बेटी डाॅ. आस्था अग्निहोत्री को जो समृद्ध संस्कार दिए, उच्च शिक्षा दी जिससे वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से ह्यूमन राइट्स में पीएचडी तथा हेग अकादमी ऑफ इंटरनैशनल लॉ से उच्चतर शिक्षा प्राप्त करके अपनी मां प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की शिक्षा, ज्ञान और समाज विकास की महान परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफैसर डाॅ. आस्था प्रो. सिम्मी की तरह ही स्पष्ट सोच की एक दृढ़ व्यक्तित्व और उन्हीं की तरह मददगार हैं।
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Content Writer

Vijay

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