Bilaspur: प्रदेश की मूल्यवान खनिज संपदा का दोहन कर रहीं सीमैंट फैक्टरियां
punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2024 - 05:38 PM (IST)
बिलासपुर (राम सिंह): हालांकि सभी सीमैंट फैक्टरियां बिलासपुर और हिमाचल प्रदेश के भीतर सीमैंट का निर्माण करके प्रति वर्ष अरबों रुपए अर्जित कर रही हैं, फिर भी आश्चर्य है कि हिमाचल सरकार का सीमैंट रेट निर्धारण में कोई भी नियंत्रण नहीं है और रेट निर्धारित करने का कार्य केंद्र सरकार ने अपने ही अधिकार क्षेत्र में रखा है। वरिष्ठ नागरिकों राम कृष्ण शर्मा और रामपाल डोगरा ने कहा कि ये सीमैंट फैक्टरियां न केवल हिमाचल प्रदेश की मूल्यवान खनिज संपदा का दोहन कर रही हैं, बल्कि यहां की वनस्पति, भूमि, वन संपदा, पर्यावरण और जीव-जंतुओं को नष्ट करने के लिए भी उत्तरदायी हैं। जिसके परिणाम स्वरूप हिमाचल प्रदेश के एकमात्र आर्थिक व्यवसाय पर्यटन को इन उद्योगों से निकलने वाली धूल व धुएं के कारण भारी हानि पहुंच रही है, जबकि सरकार इन उद्योगों को स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के बहाने बिजली, पानी व भूमि तथा खनन क्षेत्रों के आसपास विभिन्न प्रकार की सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रही है।
उससे भी अधिक बढ़ कर जिन क्षेत्रों में ये फैक्टरियां स्थित हैं, उनके कम से कम 10 किलोमीटर की परिधि के क्षेत्रों में इन फैक्टरियों द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है, जबकि फसलों, घासनियों व पालतू पशुओं को भी भारी हानि पहुंच रही है, किन्तु ये फैक्टरियां न तो हिमाचल सरकार को और न ही संबन्धित लोगों को कोई मुआवजा उपलब्ध करवा रही हैं। अब जब रेल यहां पहुंच जाएगी तो निश्चित रूप से ट्रकों के माध्यम से कुछ 100 परिवारों को मिल रहा कार्य भी रेल के आने पर उन ट्रक ऑप्रेटरों से छिन जाएगा, जिस ओर प्रदेश सरकार को गंभीरता से विचार करके उचित कदम उठाने चाहिए।
उधर, कांग्रेस पार्टी के राज्य वरिष्ठ महासचिव बंबर ठाकुर ने कहा है कि इस विषय पर हिमाचल सरकार को गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस संदर्भ में बात करेंगे और आग्रह करेंगे कि एक नीति निर्धारित करके हिमाचल विधानसभा में कानून बनाकर न केवल सीमैंट के रेटों पर नियंत्रण सुनिश्चित बनाया जाए, बल्कि जो-जो हानियां ये फैक्टरियां हिमाचल में कर रही हैं, उनका मुआवजा पाने की भी व्यवस्था की जाए।