दूसरों पर आरोप लगाने से पहले फोरलेन मसले पर अपनी कारगुजारी बताएं वन मंत्री: अजय महाजन

punjabkesari.in Friday, Sep 10, 2021 - 11:34 AM (IST)

नूरपुर (राकेश): फोरलेन मुद्दे पर कुछ भी न कर पाने के लिए मुझ पर वन मंत्री राकेश पठानिया द्वारा लगाए गए आरोप हास्यस्पद तथा अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास भर हैं। यह बात पूर्व विधायक एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय महाजन ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वन मंत्री दूसरों पर आधारहीन आरोप न लगाकर तथ्यों को समझें तथा प्रभावित लोगों को बताने का कष्ट करें कि उनके लिए उन्होंने गत पौने 4 साल की अवधी में क्या कुछ किया। उन्होंने वन मंत्री से जानना चाहा कि इस अवधि के दौरान बीसीयो बार यह प्रभावित लोग तथा उनकी लड़ाई लड़ रही विभिन्न संघर्ष समितियों से किए वायदों को वह क्यों नहीं पूरा कर सके जिस कारण प्रभावित लोगों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है। व

न मंत्री का उन पर आरोप है कि अपने विधायक काल में वह इस परियोजना का प्रारूप नहीं बदलवा सके। केंद्रीय सरकार से संबंधित यह मुद्दा तत्कालीन प्रभावशाली भाजपा नेता एवं सांसद शांता कुमार तक पहुंचा था तथा फोरलेन संघर्ष समिति ने पालमपुर जाकर उनसे आग्रह किया था कि कंडवाल से वौड़ तक नई विकास सड़क यानी बाईपास बनाया जाए ताकि भारी संख्या में इस सड़क पर स्थित आवासों, कारोबारी परिसरों तथा हजारों वृक्षों को नष्ट होने से बचाया जाए। शांता कुमार द्वारा यह मामला केंद्रीय भूतल व सड़क मंत्रालय व संबंधित मंत्री से भी उठाया गया लेनिक उनकी भी नहीं सुनी गई। जब इतने कदावर सांसद की बात नही उनकी सरकार ने नहीं सुनी तो एक मामूली विधायक की बात क्या सुनी जानी थी। उन्होंने वन मंत्री से आग्रह किया कि भवष्यि में कोई भी आरोप लगाने से पहले सारी वास्तविकता को जान लिया करें फिर आरोप दागा करें।

वन मंत्री की उदासीनता कारण अर्श से फर्श पर आए प्रभावित

अजय महाजन ने कहा कि माना कि वह अपने विधायक काल के आखिरी दौर में शुरू हुई इस परियोजना के लिए कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन वन मंत्री राकेश पठानिया अपनी कारगुजारी बताएं कि उन्होंने इन प्रभावित लोगों की खातिर क्या किया तथा कौन सा न्याय दिलवाया। उनकी नाक के नीचे नूरपुर स्थित मुआवजा अधिकारी तथा तत्कालीन एस.डी.एम. द्वारा एक ही जमीन के 3 विभिन्न अवार्ड कैसे घोषित कर दिए गए। मुआवजे को फोरलेन एक्ट 2013 में व्याप्त प्रावधानों तथा अपने राजनीतिक घोषणा पत्र में लिखित फैक्टर 2 को लागू करवाने में वह क्यों नाकाम रहे। प्रभावितों को 1956 के पुराने एक्ट व कथित सर्कल रेटों पर आधारित मुआवजा दिया गया जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित यह जमीन व परिसर व्यवसायिक स्वरूप के थे।

अब प्रदेश सरकार भवन परिसरों का मुआवजा भी सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक पुराने एक्ट मुताबिक देने की फिराक में है। यह मुआवजा पुराने भवनों को तो मिल ही नहीं पाएगा। वन मंत्री द्वारा संघर्ष समितियों व प्रभावित लोगों को कहा था कि वह सड़क की चैड़ाई 28 मीटर करवाकर अनेक परिसरों को बचाएंगे। ऐसा नहीं करवा सके तो अपने पद से त्यागपत्र दे देंगे, लेकिन तथ्य बता रहे हैं कि वह प्रभावितों के हितों की तनिक भी रक्षा नहीं कर सके तथा पद से चिपके रहे। अब वह अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ रहे हैं, लेकिन जनता इतनी मूर्ख नहीं तथा सब कुछ समझ व देख रही है। इस अवसर पर उनके साथ जिला परिषद सदस्य दीपू सिंह, कांग्रेस प्रवक्ता सुदर्शन शर्मा व युकां अध्यक्ष सतवीर सिंह मौजूद थे।
 


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Content Writer

prashant sharma

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