शांता कुमार की आत्मकथा ‘लिविंग माय कनविक्शंज’ का लोकार्पण

punjabkesari.in Sunday, Nov 14, 2021 - 07:40 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): राजनेता एवं साहित्यकार शांता कुमार की आत्मकथा निज पथ का अविचल पंथी के अंग्रेजी संस्करण लिविंग माय कनविक्शंज का लोकार्पण किया गया। अपनी बेबाक टिप्पणियों के साथ चर्चा में आई शांता कुमार की आत्मकथा के हिंदी संस्करण का फरवरी में लोकार्पण किया गया था। इस पुस्तक में शांता कुमार ने न केवल अपने राजनीतिक जीवन में घटित घटनाओं का बेबाकी से वर्णन किया था अपितु कई अंदर की बातों का खुलासा भी किया था, जिस कारण राजनीतिक क्षेत्र में काफी हलचल मची थी। अब शांता कुमार की आत्मकथा के अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. सत प्रकाश बंसल द्वारा पूर्व चुनाव आयुक्त केसी शर्मा, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. एचके चौधरी तथा समीक्षक अनिल सोनी की उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर शांता कुमार ने कहा कि उन्होंने मूल्य की राजनीति करने का प्रयास किया तथा उनकी आत्मकथा जीवन की कहानी के साथ-साथ मूल्यों की राजनीति का दस्तावेज है।

आत्मकथा का अंग्रेजी संस्करण धर्मपत्नी के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम

उन्होंने कहा कि उनकी आत्मकथा का अंग्रेजी संस्करण उनकी धर्मपत्नी संतोष शैलजा के लिए श्रद्धांजलि का कार्यक्रम भी है। 1 वर्ष तक धर्मपत्नी संतोष शैलजा ने उनके साथ कठिन परिश्रम करके आत्मकथा का हिंदी संस्करण पूरा करने में सहायता की थी। उन्होंने उनका पूरी तरह से साथ दिया, ऐसे में जब इस आत्मकथा के अंग्रेजी संस्करण को प्रकाशित करने की बात आई तो संतोष शैलजा दुबई में रह रही अपनी बेटी इंदु से इसका अनुवाद करने को कहा। अभी 40 पृष्ठ ही पूरे हुए थे कि पूरा परिवार कोविड के कारण संक्रमित हो गया तथा संतोष शैलजा का संक्रमण के कारण देहावसान हो गया। संतोष शैलजा के इस संकल्प को पूरा करने के लिए पूरे परिवार ने प्रयास आरंभ किए तथा 398 पृष्ठ की इस पुस्तक को पूरा किया जबकि उनकी छोटी बेटी शालिनी ने इसके कवर का डिजाइन तैयार किया।

साहित्यकार के रूप में लिखी हैं 20 पुस्तकें

शांता कुमार ने साहित्यकार के रूप में 20 पुस्तकें लिखी हैं जबकि उनके धर्मपत्नी संतोष शैलजा ने 16 पुस्तकें लिखीं। शांता कुमार के अनुसार यह उनकी किसी भी रचना का अंतिम विमोचन है वहीं संकल्प दिवस भी है। इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल, विधायक आशीष बुटेल, विधायक रविंद्र धीमान, विधायक मुल्ख राज प्रेमी, पूर्व विधायक प्रवीण कुमार, शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के पिता गिरधारी लाल बतरा और शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डाॅ. एनके कालिया सहित कई गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

पुस्तक का होगा पंजाबी में अनुवाद

केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि यह पुस्तक नहीं अपितु ग्रंथ है जो आने वाले समय में कई पीढिय़ों को प्रेरणा देने का कार्य करेगा। उन्होंनं कहा कि शांता कुमार की आत्मकथा निज पथ का अविचल पंथी का केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाबी में अनुवाद करवाएगा। उन्होंने बताया कि ङ्क्षहदी विभाग की एक छात्रा शांता कुमार पर अपना शोध करने जा रही है। उन्होंने कहा कि शांता कुमार का जीवन अपने आप में प्रेरणा है तथा उन्होंने आदर्शों के साथ कभी समझौता नहीं किया।

शांता कुमार से गुरु-शिष्य का संबंध

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरीन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि वह अदृश्य रूप से शांता कुमार के विद्यार्थी रहे हैं तथा उनका शांता कुमार से गुरु-शिष्य का संबंध है। उन्होंने कहा कि युवावस्था में वह शांता कुमार के संबोधन को सुनते थे तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रभावित रहे। उन्होंने कहा कि शांता कुमार विवेकशीलता में उत्कृष्ट हैं तथा यही कारण है कि उन्होंने अपने राजनीतिक तथा सार्वजनिक जीवन में राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि शांता कुमार की आत्मकथा हर विद्यार्थी, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय तथा लोगों के मार्गदर्शन का कार्य करेगी।

इतिहास संजोए है आत्मकथा

इस अवसर पर पूर्व चुनाव आयुक्त केसी शर्मा ने कहा कि शांता कुमार नवोन्मेषी विचारों को राजनीति में आगे लाए तथा उन्होंने अनेक ऐसे कार्य किए जो अविस्मरणीय हैं। उन्होंने कहा कि घर-घर पानी पहुंचाने के कारण उन्हें पानी वाला मुख्यमंत्री के रूप में पहचान मिली तो वन लगाओ-रोजी कमाओ के रूप में पर्यावरण, अंत्योदय अन्न योजना के माध्यम से खाद्यान्न के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किया। उन्होंने कहा कि राजनेता साहित्यकार के रूप में विलक्षण प्रतिभा के कारण शांता कुमार की आत्मकथा मात्र आत्मकथा ही नहीं बल्कि अपने आप में इतिहास संजोए है।

अपनी भूमिका के नायक रहे हैं शांता कुमार

इस अवसर पर अनिल सोनी ने कहा कि शांता कुमार अपनी भूमिका के नायक रहे हैं तथा अपनी जिद के खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 2 मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश के संसाधनों से आत्मनिर्भरता की दिशा में सोचा, जिसमें शांता कुमार तथा डाॅ. वाईएस परमार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शांता कुमार की जीवनी पर यहीं पर विराम नहीं लगता है।

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Content Writer

Vijay

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