यहां अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र पाने के लिए की थी तपस्या
punjabkesari.in Sunday, Apr 09, 2017 - 10:28 PM (IST)

कुल्लू: तप प्राप्ति के लिए देवभूमि कुल्लू में जहां देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों आदि ने तपस्या की है, वहीं प्राचीन समय में पांडवों ने भी दर-दर भटकते हुए देवभूमि कुल्लू के कई स्थानों में तपस्या करने के लिए स्थान चुना। ऐसी ही एक तपोस्थली ऊझी घाटी स्थित जगतसुख से सटे शुरू गांव के समीप स्थित अर्जुन गुफा अपनी विशेष महत्व रखती है। करीब 30 मीटर में फैली प्राकृतिक गुफा ऐसे अज्ञात स्थान पर है जो हर किसी व्यक्ति को ढूंढने से नहीं मिलती है। मान्यता है कि जब पांडवों को अज्ञात वास मिला था तो उस दौरान पांडवों ने इस स्थान को अपना लिया था। कहते हैं कि अर्जुन ने कौरवों पर विजय पाने के लिए इस गुफा के अंदर कठोर तप करके ब्रह्मास्त्र प्राप्त किया था। इस कारण यह गुफा धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
गुफा के अंदर एक सुरंग से जुड़ी है मणिकर्ण घाटी
वक्त के थपेड़ों को सहते हुए वर्तमान में अर्जुन गुफा जीर्णोद्धार की राह ताक रही है। इस गुफा के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भी विराजमान है। बताया जाता है कि इस गुफा के अंदर एक सुरंग है जो सीधे मणिकर्ण घाटी को जोड़ती है। प्राचीन समय में कई लोग इस सुरंग से होकर मणिकर्ण घाटी पहुंच चुके हैं।
अपवित्र करने के कारण क्षतिग्रस्त हुई गुफा
स्थानीय लोगों के मुताबिक करीब 15 साल पहले अर्जुन गुफा भू-स्खलन से क्षतिग्रस्त हो गई लेकिन इस गुफा को मुरम्मत करने के लिए संबंधित विभाग गंभीर नहीं दिख रहा है। शुरू गांव के लोग आज भी इस गुफा की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। देव आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगों का मानना है कि गुफा को अपवित्र करने के कारण गुफा क्षतिग्रस्त हुई। घाटी के लोगों ने इस गुफा की मुरम्मत करने की गुहार लगाई है।
गुफा की मुरम्मत के किए जाएंगे प्रयास
जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग अधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने बताया कि धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को विकसित करने के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग समय-समय पर प्रपोजल तैयार कर स्वीकृति के लिए उच्चाधिकारियों को भेजता है। अर्जुन गुफा की मुरम्मत के लिए प्रयास किए जाएंगे।