देवता पराशर ऋषि की इन 7 पोतियों ने मिल-बांटकर खाया था एक तिल

punjabkesari.in Wednesday, Feb 21, 2018 - 01:55 AM (IST)

मंडी: अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव आने वाले देवी-देवताओं को लेकर कई रोचक किंवदंतियां  हैं। ये देवी-देवता मानवीय रिश्तों की डोर में बंधे हुए हैं। यहां आने वाले देवी-देवताओं में कोई किसी का भाई है तो कोई आपस में बहने हैं। सनोर-बदार क्षेत्र के देवी-देवताओं का राज दरबार में दखल रहा है क्योंकि मंडी रियासत की शुरूआत बदार क्षेत्र के शिवाकोट से हुई थी। देव पराशर इस क्षेत्र के प्रमुख देवता हैं। 

माता मैहणी 7 बहनों में सबसे छोटी
जनश्रुतियों के अनुसार माता मैहणी इन 7 बहनों में सबसे छोटी है, लेकिन बहनों ने इसे बड़ा दर्जा दे रखा है। कथा के अनुसार सात बहनें एक बार जंगल में गई थीं। जंगल में एक तिल का दाना मिलने पर 6 बहनों ने उसे खा लिया और छोटी बहन को नहीं दिया। जब छोटी बहन को पता चला तो उसने तिल के दाने समेत बहनों की शक्तियां भी छीन ली थीं जिसके बाद शेष बहनों ने छोटी बहन को मनाया और सबसे बड़ा दर्जा दे दिया। मंडी जनपद में यह कहावत आज भी प्रचलित है। जब मां अपने बच्चों को कोई चीज आपस में बांटने के लिए कहती है तो इन 7 देवियों का उदाहरण दिया जाता है कि 7 बहनों ने एक तिल का दाना आपस में बांटकर खाया था। 

शिवरात्रि में मिलती हैं 7 बहनें
शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव पराशर की 7 पोतियां आपस में मिलती हैं। जिनमें से 6 बहनें बूढ़ी विचारण कांडी घटासनी, सोना सिंहासन, देवी निसू पड़ासरी, देवी धारा नागन और मैहणी एक साथ पड्डल मैदान में बैठती हैं जबकि एक बहन बगलामुखी पड्डल मैदान में नहीं आती है।  

पराशर झील से मिलता है पानी
सनोर-बदार क्षेत्र में जहां पर भी इन देवियों का स्थान वहां पर पराशर झील का पानी निकलता है जिससे इन स्थानों का महत्व भी पराशर झील से कम नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इन सातों देवियों के निवास स्थान पर पराशर ऋषि की झील से जो पानी निकलता है। वह इनके दादा पराशर ऋषि ने सबको वरदान स्वरूप प्रदान किया है।


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