हिमाचल में प्रतिवर्ष आ रहे लंग कैंसर के इतने नए मरीज, धूम्रपान बड़ी वजह

punjabkesari.in Tuesday, Oct 29, 2024 - 03:26 PM (IST)

शिमला (संतोष कुमार): वैसे तो हिमाचल कैंसर के मामलों में दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन आजकल लंग (फेफड़ों) के कैंसर के मरीजों में हो रही वृद्धि काफी चिंताजनक बनी हुई है। कैंसर अस्पताल शिमला में प्रतिवर्ष 350 से 400 नए मरीज लंग कैंसर के उपचार के लिए आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा और मुख्य कारण धूम्रपान माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 80 प्रतिशत मौतें धूम्रपान से संबंधित हैं।

भारत में फेफड़ों के कैंसर के इलाज की शुरूआती कीमत 95000 या 100000 रुपए के बीच होती है। बता दें कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश कैंसर के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021 में जहां हिमाचल में कैंसर के 8978 मामले थे, वहीं 2022 में यह बढ़कर 9164, 2023 में 9373 और 2024 में 9566 हो गए हैं। वैसे तो ऐसे कई कारक हैं जो फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, लेकिन सिगरेट, सिगार या पाइप सहित किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पादों का सेवन सबसे बड़ा जोखिम कारक है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 80 फीसदी मौतें धूम्रपान से संबंधित हैं।

ये होता है फेफड़े का कैंसर
फेफड़ों का कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो मनुष्य के फेफड़ों में अनियंत्रित कोशिका विभाजन के कारण होती है। इसमें कोशिकाएं विभाजित होती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर ऊतक के द्रव्यमान या ट्यूमर बनाती हैं, जो अंतत: मानव के अंगों को ठीक से काम करने से रोकते हैं। फेफड़ों का कैंसर उन कैंसरों को कहा जाता है, जो मनुष्य के फेफड़ों में शुरू होते हैं। ऐसे कई कैंसर हैं जो फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, लेकिन हम आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर  शब्द का प्रयोग 2 मुख्य प्रकारों के लिए करते हैं, जिनमें गैर-लघु कोशिका फेफड़े का कैंसर और लघु कोशिका फेफड़े का कैंसर शामिल हैं।

फेफड़े के कैंसर के चरण समझिए
प्रत्येक चरण में आकार और फैलाव के कई संयोजन होते हैं, जो उस श्रेणी में आ सकते हैं। उदाहरण के लिए स्टेज-3 कैंसर में प्राथमिक ट्यूमर स्टेज-2 कैंसर की तुलना में छोटा हो सकता है, लेकिन अन्य कारक इसे अधिक उन्नत चरण में रखते हैं। 

फेफड़ों के कैंसर के लिए सामान्य चरण इस प्रकार से हैं
चरण 0: कैंसर फेफड़े या ब्रोन्कस की ऊपरी परत में होता है। यह फेफड़े के अन्य भागों या फेफड़े के बाहर तक नहीं फैला होता है।
चरण-1: कैंसर फेफड़े के बाहर नहीं फैला है।
चरण-2: कैंसर चरण-1 से बड़ा है, फेफड़े के अंदर लिम्फ नोड्स तक फैल गया है, या फेफड़े के एक ही लोब में एक से अधिक ट्यूमर है।
चरण-3: कैंसर चरण-2 से बड़ा है, पास के लिम्फ नोड्स या संरचनाओं में फैल गया है या एक ही फेफड़े के विभिन्न भागों में एक से अधिक ट्यूमर है।
चरण-4: कैंसर दूसरे फेफड़े, फेफड़े के आसपास के द्रव, हृदय के आसपास के द्रव या दूरस्थ अंगों तक फैल गया है।

लक्षण
-खांसी जो ठीक नहीं होती या समय के साथ बदतर हो जाती है।
-सांस लेने में परेशानी या सांस फूलना (डिस्पेनिया)।
-सीने में दर्द या बेचैनी।
-घरघराहट।
-खून की खांसी (हेमोप्टाइसिस)।
-स्वर बैठना।
-भूख में कमी।
-अस्पष्टीकृत वजन घटना 
-अस्पष्टीकृत थकान।
-कंधे में दर्द
-चेहरे, गर्दन, हाथ या ऊपरी छाती में सूजन (सुपीरियर वेना कावा सिंड्रोम)।
-एक आंख में छोटी पुतली और झुकी हुई पलक तथा चेहरे के उस तरफ बहुत कम या बिलकुल पसीना न आना (हॉर्नर सिंड्रोम)।

क्या कहते हैं डाॅक्टर
कैंसर अस्पताल प्रमुख व विभागाध्यक्ष आईजीएमसी डाॅक्टर मनीष के अनुसार सबसे जरूरी है कि धूम्रपान न करें और यदि आप करते हैं तो धूम्रपान छोड़ दें। धूम्रपान छोड़ने के 5 वर्ष के भीतर फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम होने लगता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि फल और सब्जियां (प्रतिदिन 2 से साढ़े 6 कप) खाने से कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
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Content Writer

Vijay

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