आजाद भारत के हर चुनाव में वोट डालने वाले 114 वर्षीय गोरख राम का निधन

punjabkesari.in Thursday, Aug 24, 2017 - 12:14 AM (IST)

हमीरपुर: जिला के पट्टा क्षेत्र के लडवीं गांव के गोरख राम अब नहीं रहे। क्षेत्र के सबसे बुजुर्ग गोरख राम ने 114 साल उम्र में अपने प्राण त्याग दिए। इतनी उम्र होने के बावजूद गोरख राम ने न तो कभी वोट डालने का सिलसिला तोड़ा और न ही सुबह की सैर छोड़ी। अंतिम सांस तक वह बिना ऐनक के पढऩे-लिखने में सक्षम रहे। आजाद भारत के हर चुनाव में वोट डालने वाले गोरख राम अब फिर अगामी विस चुनाव में मतदान के लिए तैयार थे लेकिन इनका यह सपना पूरा न हो सका। उन्होंने अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी को भी देख लिया है। आसपास के गांवों में सबसे उम्रदराज बुजुर्ग गोरख राम 114 साल की उम्र में भी इतने जागरूक थे कि उन्हें यह जानकारी थी कि अभी चुनाव होने वाले हैं। 

परिवार ने सांझा की पुरानी बातें
पेशे से किसान एवं समाजसेवा को अपना धर्म मानने वाले गोरख राम के 4 बेटों में से 2 पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। इनकी सबसे बड़ी बेटी विशंभरी देवी (82), निर्मला देवी (60) व मनोरमा (52) अपने पिता के देहांत पर गमगीन हैं। इनके 2 बेटे जुल्फी राम (65) व गीका राम (75) के अलावा पोते प्रीतम, राजेश, विनोद, कंवरजीत, दीपक एवं पोतियां अर्चना एवं रमना कई पुरानी बातों को सांझा कर रहे हैं। विनोद कुमार के अनुसार एक बार जब कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी रोड शो करते हुए पट्टा से जा रही थीं तो उन्होंने वाहन से उतर कर बुजुर्ग गोरख राम के गले में हार डाला था। 

हरे रंग की टोपी से था प्यार 
गोरख राम को हरे रंग की टोपी से प्यार था। इसीलिए अंतिम विदाई के वक्त भी उनके सिर पर हरी टोपी पहनाई गई। वह कई बार शिमला पैदल ही चले जाते थे। उम्र के इस पड़ाव में भी वह प्रतिदिन एक किलोमीटर पैदल चलकर अपने आप को स्वस्थ रखने की कोशिश करते थे। वह कम तेल-मसाले वाले भोजन लेते और साथ ही दूध पीना नहीं भूलते। अपनी दिनचर्या में गोरख राम किसी की मदद नहीं लेते। एक लाठी के सहारे दिनभर आराम से घूमते-फिरते थे। 
 


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