हिमाचल में फिर शुरू हुई ‘यह’ प्रथा, Supreme Court ने दिया आदेश
punjabkesari.in Thursday, Apr 13, 2017 - 05:16 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर अरोड़ा): हिमाचल प्रदेश में धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर पशु बलि को लेकर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई पूर्ण रोक को लेकर बलि प्रथा का पक्ष रखने वालों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को मद्देनजर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक पर शॉर्ट-स्टे की अधिसूचना जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी इस अधिसूचना से बलि प्रथा के पक्षधर कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के देव समाज को अपनी परम्पराओं के निर्वहन करने में बल मिलेगा।
कोर्ट ने 10 अप्रैल को जारी किया शॉर्ट-स्टे
कुल्लू में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक ने बताया कि इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को शॉर्ट-स्टे की अधिसूचना जारी कर हल्की राहत प्रदान की है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि कोई भी पशु बलि कानून के दायरे में ही होगी, जिसके लिए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की जिम्मेदारी निर्धारित की जाएगी, साथ ही यह स्पष्ट किया है कि संबंधित नगर परिषद (शहरी क्षेत्रों के लिए) तथा ग्राम पंचायतों (ग्रामीण क्षेत्रों के लिए) की देखरेख में ही इस प्रकार के कार्यों को अंजाम दें ताकि किसी प्रकार का विवाद न पनपे। नोटिफिकेशन में इसका भी उल्लेख है कि मंदिरों व धार्मिक कार्य स्थलों पर बाकयदा स्थान चिन्हित कर पशु बलि दी जा सकेगी ताकि किसी की भावना को ठेस न पहुंचे।
कोर्ट के आदेशों की करेंगे अनुपालना
उन्होंने बताया कि अब वह कुल्लू के ढालपुर में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में लंका दहन के दौरान अपनी परम्परा का बखूबी निर्वहन करेंगे। इसके लिए वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना करेंगे ताकि किसी तरह का विवाद उत्पन्न न हो। उन्होंने प्रदेश के हर व्यक्ति से अपील की है कि पशुओं के साथ क्रूरता से पेश न आएं तथा बलि विधान के अनुसार ही बलि प्रथा का निर्वहन करें, साथ ही मंदिरों व सार्वजनिक स्थलों पर सफाई का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट याचिका का पूर्णत: निपटारा न कर दें तब तक उक्त आदेश मान्य होंगे।
वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने लगाया था पूर्ण प्रतिबंध
धार्मिक कार्यों के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर पशु बलि के नाम पर पशुओं पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान पर रखते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में पशु बलि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका देव समाज के लोगों ने जहां स्वागत भी किया था, वहीं कुल्लू के विधायक व देव समाज के कुछ लोगों ने इसका भारी विरोध किया था। यहां तक कि इसके लिए देव संसद तक का आयोजन करवाया गया। उसके बाद विधायक व कारदार संघों ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों का हिस्सा मानते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसी के फलस्वरूप हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से आए नए आदेश के बाद अब धार्मिक अनुष्ठानों में पशु बलि का प्रावधान रखा गया है।