डम्मी एडमिशन से निजी स्कूल कर रहे मोटी कमाई

punjabkesari.in Monday, Mar 26, 2018 - 02:27 PM (IST)

हमीरपुर: वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहद ही निम्र स्तर का हो गया है, जिसके चलते लगातार सरकारी स्कूलों में हर वर्ष बच्चों की संख्या घटती जा रही है। अब तो हालात ये हो गए हैं कि सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कहीं-कहीं 5 से 10 बच्चे हैं और सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में भी जमा 1 और 2 में विज्ञान संकाय में कहीं-कहीं 3-3 बच्चे हैं। उधर, जिला में चल रहे निजी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर खूब लूट मची हुई है। निजी स्कूलों में तो शिक्षा के नाम पर व्यापारीकरण हो रहा है। हालात ये हो चुके हैं कि निजी स्कूलों में अब डम्मी एडमिशन करके निजी स्कूल संचालक मोटी कमाई कर रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग की ढुलमुल नीति के चलते ऐसे निजी स्कूलों पर शिकंजा कसना तो दूर की बात है ऐसे स्कूलों के संचालकों के खिलाफ अभी तक संबंधित विभाग कार्रवाई तक करने से कतरा रहा है। यही नहीं, निजी स्कूलों में आजकल दाखिलों का दौर चल रहा है और एडमिशन फीस, स्कूल भवन फीस, खेल मैदान की फीस व बस सुविधा की फीस सहित स्कूलों में बच्चों के कपड़े, किताबें, जूते यहां तक कि स्कूल बैग भी बेचे जा रहे हैं। यही नहीं, बच्चों के अभिभावकों को हिदायत दी गई है कि वे स्कूल प्रशासन के अनुसार ही स्कूल की वॢदयां और अन्य सामान खरीदें, जिससे बच्चों के अभिभावक इन निजी स्कूल संचालकों की कथित मनमर्जी के चलते खूब लुट रहे हैं।

नियमों को भी पूरा नहीं करते निजी स्कूल
निजी स्कूल संचालक बेहतर शिक्षा देने के नाम पर खूब मोटी कमाई कर रहे हैं। यही नहीं, जिला में कई निजी स्कूल प्राइवेट भवनों में चल रहे हैं तथा कई स्कूल भवन शॉपिंग काम्प्लैक्स में भी चल रहे हैं, जिनमें स्कूल स्टाफ भी शिक्षा विभाग के मापदंडों के अनुसार नहीं है तथा इन स्कूलों से कई शिक्षक टैट पास भी नहीं हैं, ऐसे में निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा, कोई नहीं जानता है लेकिन इन निजी स्कूल संचालकों ने कमाई के चक्कर में खूब लूट मचाई हुई है। जिला में कुछ नामी निजी स्कूल मोटी कमाई के चक्कर में डम्मी एडमिशन्स भी कर रहे हैं ताकि स्कूल का नाम रोशन भी हो और उनके स्कूल के बच्चे मैरिट लिस्ट में भी ज्यादा आ सकें। मैरिट लिस्ट में आने वाले बच्चों को अपने स्कूल का बच्चा बताने के लिए परीक्षा परिणाम के दौरान कई स्कूल या कोङ्क्षचग सैंटर सामने आ जाते हैं जबकि वह मैरिट लिस्ट में आने वाला बच्चा कहीं और दूसरे स्कूल में पढ़ रहा होता है।

फीस स्ट्रक्चर पर कार्रवाई करे सरकार
उधर, निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों सुनील कुमार, वेदप्रकाश भारद्वाज, प्रवीण कुमार, राजीव, संजीव, संजय कुमार, अनिल कुमार, संदीप भारद्वाज, राकेश ठाकुर व रविंद्र ठाकुर सहित विजय चौहान का कहना है कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों पर शिकंजा कसे तथा निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर को निर्धारित करे ताकि हर साल निजी स्कूल प्रशासन एडमिशन फीस सहित अन्य प्रकार की फीस न वसूलें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यापारीकरण न हो इसके लिए भी सरकार व शिक्षा विभाग मापदंड निर्धारित करे। 


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