बरसात में सस्ता पकवान बिगाड़ सकता है आपका स्वास्थ्य, रहें सावधान

Friday, Jul 05, 2019 - 10:45 AM (IST)

शिमला (रविंद्र जस्टा): बरसात कई बीमारियों को बुलावा देती है। ऐसे में लोगों को सावधान रहना होगा। खासकर अगर आपने बाहर खुले में बेचे जा रहे मोमोज और गोल-गप्पे खाए तो कभी भी आप बीमारी के शिकार हो सकते हैं। इसलिए अगर स्वस्थ रहना है तो मोमोज और गोल गप्पे खाने की आदत को छोड़ना होगा। इन दिनों बिना किसी रोकटोक के रेहड़ी-फड़ी वाले गोल गप्पे और मोमोज खुलेआम बेच रहे हैं। इनके खाद्य पदार्थों की क्वालिटी कितनी सही है, इसका पता किसी को भी नहीं है। ये पदार्थ लोगों के स्वास्थ्य को कभी भी खराब कर सकते हैं।  

शहर में मोमोज और गोल-गप्पे बेचने वालों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि जिस तरफ भी जाएं उस जगह पर कोई न कोई मोमोज और गोल-गप्पे बेच रहा होता है। ऐसा नहीं है कि वहां पर लोग इन चीजों को खाते नहीं हैं। लोगों की वहां भीड़ लगी होती है। खासकर स्कूल और कॉलेज के बच्चे इन चीजों का सेवन करते हैं। लोग इसलिए भी खाते हैं कि रैस्टोंरैंट और ढाबों वालों के मुताबिक ये सस्ते बेचते हैं। तभी लोग सस्ते के चक्कर में बाहर मोमोज खाते हैं लेकिन लोगों को यह पता नहीं कि सस्ता पकवान स्वास्थ्य को कभी भी बिगाड़ सकता है। 

10 रुपए में दिए जाते हैं 3 पीस

रेहड़ी-फड़ी वाले मोमोज के 10 रुपए में 3 पीस दे रहे हैं। वहीं गोल-गप्पे वाले भी 40 रुपए में 5 पीस बेच रहे हैं। रेहड़ी-फड़ी वाले इन खाद्य पदार्थों के दाम भी अधिक वसूल रहे हैं। 

2016 में पीलिया फैलने पर हटाए थे रेहड़ी-फड़ी वाले 

शिमला में जब 2016 में पीलिया फैला था तो उस दौरान अधिकारियों की नींद एकदम से खुल गई थी। उस दौरान मोमोज और गोल गप्पे बेचने वालों को हटा दिया था। हालांकि काफी समय बाद वे वापस बैठ गए थे। उस दौरान एक वर्ष में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार पीलिया से 34 लोगों की मौत हो चुकी थी, वहीं 9,516 मामले पॉजीटिव आए थे। शिमला में कहीं उस दौरान जैसे हालात न हों, ऐसे में अधिकारियों के लिए यह सही रहेगा कि वे समय-समय पर इन खाद्य पदार्थों की चैकिंग करवाएं। तभी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। 

बिना लाइसैंस के बेचे जा रहे मोमोज

शहर में 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जोकि बिना लाइसैंस के मोमोज बेच रहे हैं। इन्हें हटाना तो दूर की बात है इन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है। यहां पर नगर निगम प्रशासन हो या फिर फूड एंड सेफ्टी विभाग दोनों ही रेहड़ी-फड़ी वालों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं। 

Ekta