ये पहाड़ की शेरनी है जनाब, 65 वर्षीय कमला देवी के हौसले को आप भी करेंगे सलाम
punjabkesari.in Saturday, Jan 29, 2022 - 11:36 PM (IST)

कुनिहार (नेगी): कम नहीं हैं महिलाएं किसी से, साबित करके दिखा देंगी, खोल दो बंधन इनके, हर मंजिल पा जाएंगी। इसी पंक्ति को जिले की एक महिला चरितार्थ कर रही है, जिसने आर्थिक तंगी व संसाधनों के अभाव के बावजूद अपना इरादा बुलंद रखा है। उक्त महिला ने अपने बेटों के साथ मिलकर खेतों में हल चलाकर ही नहीं दिखाया बल्कि अपनी पथरीली एवं बेकार पड़ी भूमि को समतल बनाकर आज उपजाऊ बनाकर दिखा दिया है। उक्त महिला को पहाड़ की शेरनी भी कह दें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उक्त महिला उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनती जा रही है, जो आज पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध के मकड़जाल में फंसकर अपनी सभ्यता व संस्कृति को भूलती जा रही हैं।
लॉकडाऊन में पथरीली भूमि में चट्टानें तोड़कर बना दिए खेत
ममलीग क्षेत्र के गांव कृष्णगढ़ की करीब 65 वर्षीय कमला देवी का परिवार गांव की आबादी से लगभग 1 किलोमीटर दूर एक छोटे से मकान में रहता है। निजी काम के सिलसिले में अक्सर बेटे घर से बाहर रहते हैं। लॉकडाऊन के दौरान उक्त परिवार ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसकी उन्होंने खुद कल्पना भी नहीं की होगी। उक्त महिला ने अपने परिवार के साथ अपनी पथरीली भूमि से बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़कर खेत बना दिए। इतना ही नहीं, उक्त महिला को जब भी मौका मिलता अपने बैलों के साथ हल जोतने लग जाती है। बेशक उक्त महिला के बेटे बड़े हो गए हैं व उन्हें खेतों में काम करने से मना करते हैं लेकिन कमला देवी को बचपन से ही खेतीबाड़ी का इतना लगाव था कि उसके पिता ने ही उसे खेतों में हल जोतना सिखाया है। जब भी मौका मिलता है, वह बैलों को खोलकर खेत जोतने जुट जाती हैं।
बस सरकारी नौकरी में लग जाए एक बेटा
कमला देवी घर में बूढ़ी माता के बिस्तर में पड़े रहने के चलते घर से कहीं दूर भी नहीं निकल पातीं। बेशक बीपीएल स्तर पर मिलने वाली सहायता उक्त परिवार को मिली हो लेकिन घर में अभी भी सुविधाओं का बहुत अभाव है। कमला देवी को मलाल है कि उनके तीनों बेटे किसी सरकारी नौकरी में नहीं हैं। उन्होंने सरकार के समक्ष गुहार लगाई है कि उनके किसी एक बेटे को किसी छोटी-मोटी सरकारी नौकरी में लगाया जाए।
खेतीबाड़ी से है बहुत लगाव
कमला देवी के बेटों लायक राम, संजीव कुमार व टेक चंद ने कहा कि हमारी माता जी को खेतीबाड़ी से बहुत लगाव है। जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वह हमारे साथ बैल लेकर खेत जोतने लग जाती हैं। हम उन्हें मना करते रहते हैं। हमारी मां ने जीवन में बहुत संघर्ष किया है।
काम में शर्म नहीं
कमला देवी ने कहा कि काम करने में कोई शर्म नहीं होती व परिवार के साथ मिलकर सभी को काम करना चाहिए। मैं अपने बेटों के साथ मिलकर कई बार खेतों में हल जोतती हूं। लॉकडाऊन के दौरान बेटों के साथ मिलकर पथरीली जमीन से पत्थर तोड़कर आज खेत बना दिए हैं। बेशक आज खेतों में हर मौसमी फसल ले रहे हैं लेकिन फसल को जंगली जानवर काफी नुक्सान पहुंचा देते हैं।
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