‘स्कूल चले हम’ पर महफूज कहां अनमोल बेटियां

Wednesday, Dec 05, 2018 - 09:27 AM (IST)

शिमला (प्रीति मुकुल): ‘स्कूल चले हम’। सब पढ़ें, आगे बढ़ें को सार्थक रूप देने के लिए सर्वशिक्षा अभियान के तहत बनाए गीत में यह स्लोगन बहुत जंचता है लेकिन जब धरातल पर बात की जाए तो यही स्लोगन अब पीड़ा देने लगा है। विशेषकर उन बच्चियों को, जिनको शिक्षित करने के लिए इस गीत में विशेष फोकस किया गया है। आज के हालात में सरकारी स्कूलों में अनमोल बेटियां महफूज नहीं रही हैं। जिस कारण यह नारा ही अब निरर्थक हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में नाम रोशन करने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल के सरकारी स्कूलों में छात्राओं के साथ सामने आ रहे छेड़छाड़ के मामले प्रदेश की छवि को दागदार कर रहे हैं। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी ऐसे मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, ऐसे में स्कूली छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है।

शिक्षकों की ऐसी हरकतों से विभाग भी अब उलझन में है तो दूसरी तरफ इससे अभिभावकों की नींद भी उड़ गई है। हालांकि प्रदेश सरकार ऐसे मामले सामने आने पर शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। उनकी सेवाएं बर्खास्त की जा रही हैं। स्कूलों में यौन उत्पीड़न समिति भी बनाई गई है, जहां पीड़िता अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। छात्राओं व महिला शिक्षक, दोनों इस कमेटी के समक्ष ऐसेेमामलों की शिकायत कर सकती हैं। इसके अलावा शिक्षा विभाग ने हर महीने की 5 तारीख को क मेटी को इस संबंध में रिपोर्ट निदेशालय भेजने के भी निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा छात्राओं को प्रताड़ित करने के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में स्कूलों में बनी यौन उत्पीड़न कमेटी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस दौरान स्कूलों में छेड़छाड़ के अधिकतर मामले ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों से आए हैं। 

इस साल इन मामलों पर हुई कार्रवाई

प्रदेश में इस साल ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं। जिला चम्बा से हाल ही में 2 ऐसे बड़े मामले सामने आए हैं। इनमें सलूणी क्षेत्र के 2 स्कूलों का मामला है, जहां छात्राओं ने शिक्षक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। इसी कड़ी में जिला शिमला में भी कोटखाई के साथ लगते एक प्राथमिक स्कूल व शिमला के स्कूल के शिक्षक ने भी छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें की हैं। इसी तरह सिरमौर, पालमपुर के भवारना थाना के तहत, मंडी और हमीरपुर से भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने ऐसे शिक्षकों की सेवाओं को तुरंत बर्खास्त कर दिया है और स्कूल प्रशासन को ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई करने को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

ऐसे मामलों के लिए सिस्टम भी कम लापरवाह नहीं

स्कूलों में सामने आ रहे मामले इसलिए भी संगीन हैं क्योंकि अधिकतर मामलों में बच्चियां सब कुछ सहन करती रहीं। कच्ची उम्र व हैवानियत का डर इतना कि किसी को बताने में रूह कांप जाएं जिसके लिए पूरा सिस्टम की दोषी लगता है जोकि स्कूलों में ऐसा माहौल ही नहीं बना पाया कि बच्चियां किसी से खुलकर अपनी बात कह पाएं। ऐसे में यौन उत्पीड़न कमेटियों पर भी सवाल उठते हैं जोकि रूटीन में स्कूली छात्राओं के साथ हर माह काऊंसिलिंग नहीं करती।

 

Ekta