दिल्ली की जहरीली हवा से बचना है तो करें हिमाचल की सैर

Tuesday, Nov 05, 2019 - 10:05 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): देश की राजधानी सहित खराब एयर क्वालिटी इन्डैक्स (ए.क्यू.आई.) वाले अन्य सभी प्रदेशों के लोगों को दमघोंटू व जहरीली हवा से बचना है तो वे हिमाचल प्रदेश की सैर पर निकल सकते हैं। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और पांवटा साहिब को छोड़कर अन्य सभी शहरों की हवा बिल्कुल साफ है। उधर, दिल्ली के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर 1000 माइक्रोग्राम पहुंच गया है, जबकि यह 100 माइक्रोग्राम से अधिक जानलेवा माना जाता है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। जीवनदायिनी हवा दूषित होने से लोग बीमार पड़ रहे हैं, ऐसे में खराब ए.क्यू.आई. वाले प्रदेशों के लोग हिमाचल के शिमला, मनाली, डल्हौजी, बनीखेत, नारकंडा सहित अन्य पर्यटन स्थलों का रुख कर गंभीर बीमारियों को टाल सकते हैं।  

उल्लेखनीय है कि ए.क्यू.आई. हवा में मौजूद बहुत से जहरीले कणों को मापने का जरिया है। इसके 100 माइक्रो ग्राम से अधिक होने से इंसानों के फेफड़ों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। वायुमंडल में घुलने वाली जहरीली हवाएं सांस के साथ गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच सकती हैं। इससे खासकर अस्थमा व सांस रोगों की शुरूआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में जलन भी होती है। दिल्ली में इस कारण आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

हिमाचल के पर्यटन स्थलों का ए.क्यू.आई. स्तर

शिमला के होटल ब्रिज व्यूह के समीप 2 नवम्बर को ए.क्यू.आई. 29.3 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया। धर्मशाला में भी इसी दिन ए.क्यू.आई. 58.7 तथा मनाली में 53.16 माइक्रो ग्राम रहा। एक हफ्ते पहले तक प्रदेश में सबसे खराब ए.क्यू.आई. वाले परवाणु शहर की हवा भी अब साफ हो गई है। परवाणु के सैक्टर-4 का ए.क्यू.आई. 49.67 माइक्रोग्राम, मनाली का 53.16 माइक्रो ग्राम दर्ज किया गया। पर्यटन स्थलों के अलावा डमटाल का ए.क्यू.आई. 90.7 माइक्रोग्राम, सुंदरनगर का 80.3, कालाअंब का 55.6, ऊना का 60.45 माइक्रोग्राम रहा। औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ का एयर क्वालिटी इन्डैक्स 79 माइक्रोग्राम रहा।

बद्दी और पांवटा साहिब में खराब एयर क्वालिटी

हिमाचल में केवल पांवटा साहिब और बद्दी में ही ए.क्यू.आई. 100 के पार है। पांवटा साहिब में 2 नवम्बर को ए.क्यू.आई. 100.1 माइक्रो ग्राम और बद्दी में 102 माइक्रो ग्राम दर्ज किया गया। इन दोनों शहरों में खराब ए.क्यू.आई. का कारण औद्योगिकरण के अलावा पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली को बताया जा रहा है।

Ekta