दिलों के राजा वीरभद्र सिंह पंचतत्व में विलीन, प्रजा ने नम आंखों से दी विदाई

Saturday, Jul 10, 2021 - 10:23 PM (IST)

शिमला (नोगल): देखो-देखो कौन आया-कौन आया, शेर आया-शेर आया के नारों की गूंज के बीच दिलों के राजा व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पुत्र एवं विधायक विक्रमादित्य सिंह ने राजकीय व शाही सम्मान के साथ मुखाग्नि दी। उनकी अंतिम यात्रा में दोपहर करीब 3 बजे पद्म पैलेस से शुरू हुई, जिसमें हजारों की संख्या में जनसैलाब उमड़ा। रास्ते में बड़ी संख्या में लोगों ने नम आंखों से खड़े होकर वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा भी की।

प्रदेश सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास एवं आवास मंत्री सुरेश भारद्वाज व वन मंत्री राकेश पठानिया ने भाग लिया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर अंतिम संस्कार में पार्टी के 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य व सासंद आनंद शर्मा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल तथा प्रदेश मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला ने विशेष रूप से भाग लिया।

प्रदेश कांग्रेस सह प्रभारी संजय दत्त, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, पूर्व मंत्रियों, विधायकों एवं पूर्व विधायकों ने भी इसमें भाग लिया। इस तरह वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार को पूरे राजकीय एवं शाही सम्मान के साथ किया गया। राजकीय सम्मान के रूप में पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी। इसी तरह शाही सम्मान के तौर पर उनकी अंतिम यात्रा को राजाओं की तरह निकाला किया।

बुशहर रियासत के अंतिम राजा को 12 मुखी बमाण पर दी अंतिम विदाई

वीरभद्र सिंह बुशहर रियासत के अंतिम राजा थे, जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की आयु में राजगद्दी संभाली थी। इसलिए उनकी अंतिम यात्रा के लिए 12 मुखी बमाण को विशेष तौर पर तैयार किया गया। किन्नौर, डंसा, लालसा, कूहल और अन्य क्षेत्रों के 7 काष्ठ करीगरों ने लगातार 2 दिन कार्य काम करके इसका निर्माण किया। राजा के परिवार के लिए इस 12 मुखी बमाण को बनाया जाता है, जबकि राणा, ठाकुर और कुंवर के लिए 8 और 10 मुखी बमाण बनाए जाने का प्रावधान है। इसका निर्माण देवदार की लकड़ी से किया जाता है, जिसमें हाथी की जीभ की तरह निकले 12 मुख बनाए जाते हैं। इसमें फूल और पत्तियों की नक्काशी भी की जाती है।

अंतिम यात्रा में बजाए गए लोक वाद्ययंत्र, लोगों ने किया अंशदान

हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा में पारंपारिक लोक वाद्ययंत्रों को बजाया गया। यह वाद्ययंत्र पद्म पैलेस से लेकर जोबनी बाग स्थित मोक्षधाम तक बजाया गया। इसी तरह लोगों ने अपने राजा की अंतिम रस्मों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार धनराशि का अंशदान भी किया।

राजमहल से लेकर जोगणी बाग तक लोगों के छलके आंसू

वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में लोगों के आने का क्रम सुबह ही शुरू हो गया था। उनके पार्थिव शरीर के करीब पहुंचने के लिए लोगों ने अपनी बारी का इंतजार किया। इस तरह राजमहल से लेेकर जोगणी बाग स्थित मोक्षधाम तक लोगों की आंखों से आंसुओं को छलकते देखा गया।

मोक्षधाम में बनेगा स्मारक

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जिस स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया, वहां पर पहले रहे राजा-रानियों की तरह उनका स्मारक बनाया जाएगा। इससे पहले मरने वाले राजा-रानी के शिलालेख व चित्र यहां पर मौजूद है।

पुलिस को करनी पड़ी खासी मशक्कत

अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमडऩे के कारण पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। राजमहल से लेकर जोगणी बाग तक निकली अंतिम यात्रा में भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस जवानों को भारी परेशानी आई। अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शनों के लिए उमड़े लोगों को नियंत्रित करने के लिए कई बार धक्का-मुक्की तक की नौबत भी आई। पुलिस को ट्रैफिक प्लान पर भी विशेष काम करना पड़ा, जिसके तहत वाहनों की पार्किंग और आवाजाही के लिए जगह को चिन्हित किया गया था।

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prashant sharma