विक्रमादित्य सिंह ने सदन में उठाया धारा-118 का मुद्दा, CM जयराम ने दिया यह बयान (Video)

Wednesday, Aug 28, 2019 - 10:44 AM (IST)

शिमला (तिलक राज): प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के 7वें दिन नियम 62 के अंतर्गत विधायक विक्रमादित्य सिंह ने सदन में धारा-118 को लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया। विक्रमादित्य ने कहा कि प्रदेश के लोगों में धारा-118 में छेड़छाड़ को लेकर अलग-अलग धारणा बनी हुई है। हिमाचल प्रदेश लैंड टेंडेंसी एंड रिफॉर्म एक्ट 1972 में लाया गया था। वीरभद्र सिंह परिवार ने 7608 बीघा जमीन सरकार को दी थी ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनका भी सहयोग हो। प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार ने धारा-118 को लागू किया था ताकि प्रदेश के लोगों के साथ धोखाधड़ी न हो। ओवैसी ने 118 को खत्म करने संसद में बात कही है। क्या प्रदेश का धारा 118 में संशोधन को लेकर कोई विचार है। 

जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अविश्वास का भाव विपक्ष में है। इन्वेस्टर मीट का प्रयास जब से हुआ है तबसे विपक्ष सरकार के प्रयासों को तबाने की कोशिश कर रही है।हिमाचल के हितों की रक्षा करना सरकार की पहली प्राथमिकता है। परमार ने जो कदम 1972 में उठाया था वह सराहनीय है। सरकार धारा-118 में कोई संशोधन नहीं कर रही है। विपक्ष वहम की स्थिति में है जिसका कोई ईलाज नहीं है। कोई भी गैर कृषक बिना सरकार की अनुमति के हिमाचल प्रदेश में जमीन को अपने नाम नहीं कर सकता। धारा-118 में 1976 ,1988 ,1995 ,1996 और 2006 में कांग्रेस सरकार के समय में संशोधन किए है जबकि भाजपा सरकार ने कोई बदलाव ही नहीं किया है और विपक्ष सरकार पर धारा-118 में संशोधन के गलत आरोप लगा रहा है जो कि बेबुनियाद है। 2014-15 में मझोले और छोटे उद्योगों को स्थापित करने को लेकर सरलीकरण करने के लिए भी मंजूरी दी गई थी।

2014 में एकल खिड़की के माध्यम से उद्योगों को स्थापित करने के मकसद से संशोधन किया गया उस समय भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। सरकार धारा 118 के मामलों को ऑनलाइन करने जा रही है ताकि जरूरतमंद को लाभ मिल सके और उसमें अगर कुछ चीजों को सरलीकरण करने की जरूरत होगी तो मिल बैठ कर निर्णय लिया जाएगा। 2015 -16-17 में कांग्रेस के समय में 1061 मामलों में जमीनें दी है। जबकि भाजपा सरकार ने अभी 2 साल के कार्यकाल में 511 लोगों को धारा-118 के अंतर्गत जमीनें दी है। सुखबीर सिंह बादल ने संसद में जानकारी के अभाव में धारा-118 को खत्म करने को लेकर बयान दिया। 2014 में नियम 38ए एनओसी की शर्त को हटा दिया था। लेकिन वर्तमान सरकार धारा-118 में कोई भी संशोधन नहीं कर रही है इसलिए विपक्ष को भी भ्रम की स्थिति से बाहर आना चाहिए और बेवजह मुद्दे को उछालना नहीं चाहिए।

Ekta