स्वर्ग से लौटे देवता, बर्फ पर नाच भक्तों ने मनाया जश्न (Watch Video)

Wednesday, Feb 13, 2019 - 03:29 PM (IST)

मंडी (पुरुषोत्तम): सराज घाटी में दो दिवसीय फागली उत्सव धूमधाम से शुरू हो गया। बुधवार को देवताओं के स्वर्ग प्रवास से लौटने पर असुर भी नाच उठे और पारम्परिक परिधानों और मुखौटे पहन सदियों पुरानी परम्परा निभाई। इस बार खास बात यह है कि फागली का नाच 2 से 3 फुट बर्फ पर हुआ और ठंड के बावजूद देवता के कारकूनों ने भगवान विष्णु को समर्पित फागली हर्षोल्लसा के साथ मनाई। देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश में कई तरह के त्यौहार व उत्सव मनाए जाते है लेकिन क्षेत्रीय स्तर में मनाए जाने वाले उत्सवों का अपना ही महत्व व आकर्षण होता है।


बालीचौकी की पंचायत खणी के नहराए कांढा व पंचायत थाटा के रांगचा व खौली में फागली उत्सव बुधवार को फाल्गुन साजे के साथ शुरू हो गया है। इस उत्सव में शून्य तापमान में देवता के गुरों व अन्य कारकूनों ने अर्ध नग्न अवस्था में देवता के आदेश पर गांव की परिक्रमा पूरी की। फागली उत्सव में बर्फ के बीच फाल्गुन संक्राति को यहां फागली उत्सव के रूप में मनाया जाता हैए जिसमें देवता के कारकून पारंपरिक मडियाहला नृत्य भी करते हैं और यही नृत्य लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है। देवता के कारकून अर्धनग्न अवस्था में देव रस्मों को पूरा करते हैं।

बीठ के लिए होती है देवलुओं के बीच छीनाझपटी

इस दौरान बरूआ घास से बने एक प्रकार के फूल के लिए देवलुओं के बीच छीनाझपटी भी होती है। बरूआ के घास से बने इस गुच्छे को देव भाषा में बीठ कहा जाता है जो व्यक्ति इस बीठ को पाने में सफल होता है तो उसी घर में धाम का आयोजन भी किया जाता है। सराज घाटी में यह फागली उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता है। पंचायत खणी में हर 3 साल बाद मनाया जाने वाला फागली उत्सव 3 दिनों तक चलता है। अराध्य देवता लक्ष्मी नरायण की अगुवाई में मनाए जाने वाले फागली उत्सव में अराध्य देवता लक्ष्मी नारायण का मुख्य मुखौटा हर घर जाकर लोगों को सुख समृद्धि का वरदान भी देता है। देवनीति में मान्यता है इस मुखौटे से जहां सालभर में सुख समृद्धि का वरदान मिलता है तो वहीं बुरी शक्तियों को भी यह घर से दूर भी करता है। लक्ष्मी नरायण के वरिष्ठ देवलु डोले राम का कहना है कि यह उत्सव देवता विष्णु नारायण पर ही मनाया जाता है। आसुरी शक्तियों को भगाने के लिए अश्लील तंज भी कसे जाते हैं।

रांगचा में हुई 7 वर्ष बाद बर्फ में फागली

सराज घाटी में 2 दिन तक चलने वाला फागली उत्सव समुद्र तल से 9 हजार फुट की ऊंचाई पर रांगचा में भी शुरू हो गया है। 7 साल बाद हो रही है फागली इस बार 3 से 4 फीट बर्फ में हो रही है। कल भगवान विष्णु नारायण रांगचा आएंगे और बीठ के रूप में क्षेत्रवासियों को आशीर्वाद देंगे। बर्फ के बीच फागुन संक्रांति को यहां फागली उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसमें देवता के कारकून पारम्परिक मडिय़ाहला नृत्य करते हैं। इस उत्सव का ग्रामीणों को बेसब्री से इंतजार रहता है। देवता के कारकूना भूपेश ठाकुर ने कहा कि ये उत्सव भगवान विष्णु को समर्पित है और इसमें देवता के अलग-अलग गण अलग-अलग रूपों में वस्त्र पहनकर एकसाथ झूमते हैं और लोगों को आशर्वाद देते हैं। स्वर्ग प्रवास से देवताओं के लौटते ही यह उत्सव शुरू हो जाता है।

Ekta