MC की मेयर ने Town Hall में किया प्रवेश, Office में बैठने से पहले करवाया हवन

Tuesday, Oct 01, 2019 - 08:02 PM (IST)

शिमला (तिलक राज): टाऊन हाल शिमला पर चली लंबी जद्दाेजहद के बाद मंगलवार काे नवरात्रों के मौके पर महापौर कुसुम सदरेट ने पूरे विधि-विधान सहित अपने कार्यालय में प्रवेश किया। वर्ष 1908 में निर्मित इस भवन पर जहां पहले नगर निगम का कार्यालय था, वहीं इसके जीर्णोद्दार के चलते नगर निगम को जिलाधीश कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। हाईकोर्ट से नगर निगम के पक्ष में आए फैसले के बाद मंगलवार काे महापौर कुसुम सदरेट ने अपने कार्यालय में प्रवेश किया। नवरात्रों के मौके पर प्रवेश से पहले कुसुम सदरेट सहित नगर निगम आयुक्त व कुछ पार्षदगणों ने हवन किया, उसके पश्चात महापौर कार्यालय में गए। वहीं उपमहापाैर राकेश शर्मा टाऊन हाल में हुए इस हवन में मौजूद नहीं रहे।

नगर निगम का अगला हाऊस टाऊन हाल में होने की उम्मीद

वहीं इस मौके पर मेयर कहा कि काफी लंबे समय के बाद नगर निगम को ये टाऊन हाल मिला है। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायलय के निर्देशानुसार टाऊन हाल में नगर निगम के  दूसरे कार्यालय अभी शिफ्ट नहीं होंगे और डीसी ऑफिस में ही निगम के कार्यालय रहेंगे। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि जल्दी ही उन्हें  टाऊन हाल में नगर निगम के हाऊस के लिए स्थान मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि नगर निगम का अगला हाऊस टाऊन हाल में होगा। उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि टाऊन हाल में पहले से ही नगर निगम का कार्यालय था लेकिन इसके जीर्णोद्दार के बाद इस पर अन्य विभाग भी दावेदारी पेश कर रहे थे अाैर आखिरकार कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में ही फैसला सुनाया है।

8 करोड़ रुपए से हुअा 109 वर्ष पुराने भवन का जीर्णोद्दार

गौरतलब है कि 109 वर्ष पुराने इस भवन का डिजाइन स्कॉटलैंड के आर्किटैक्ट जेम्स रेंजैम द्वारा बनाया गया था लेकिन रखरखाव न होने और शिमला नगर निगम की अनदेखी के चलते यह भवन जर्जर हो गया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस भवन का जीर्णोद्दार हुआ। टाऊन हाल भवन में पहलेे नगर का कार्यालय चल रहा था लेकिन 2014 में इसको जीर्णोद्दार के लिए एचपीटीडीपी को दिया गया, जिस पर करीब 8 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसके लिए एचपीटीडीपी ने एडीबी (एशियन डिवैल्पमैेट बोर्ड) से कर्ज लिया है। जीर्णोद्दार के बाद सीएम जयराम ने नवम्बर, 2018 में इसका उद्घाटन भी कर दिया लेकिन दावेदार ज्यादा होने से मामला कोर्ट पहुंच गया और 10 माह बाद नगर निगम के हक में फैसला आया है।

Vijay