मकर संक्रांति पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल तत्तापानी व माईपुल में हजारों लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

Sunday, Jan 14, 2024 - 06:34 PM (IST)

शिमला/ठियोग(अम्बादत्त/मनीष): हिमाचल प्रदेश में रविवार को मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर हजारों की तादाद में लोगों ने प्रसिद्ध तीर्थ स्थल तत्तापानी में गर्म पानी के चश्मों में आस्था की डुबकी लगाई। मान्यता है कि जो भी इस गर्म पानी से स्नान करता है उसके चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इसके अलावा लोगों ने तत्तापानी में तुलादान भी किया। हर साल मकर संक्रांति पर तत्तापानी में हजारों की संख्या में लोग आते हैं तथा सुबह शाही स्नान करने के बाद तुलादान करते हैं। इस वर्ष भी हजारों की संख्या में लोगों ने तुलादान किया। तुलादान सुबह 4 बजे के बाद शुरू हो गया था, जो शाम सूर्यास्त तक निरंतर चलता रहा। वहीं तत्तापानी आए लोगों ने राफ्टिंग का भी खूब लुत्फ उठाया। लोग सतलुज नदी में राफ्टिंग करते हुए नजर आए। तत्तापानी में प्राइवेट संस्था द्वारा लोगों को राफ्टिंग करवाई जाती है। खासकर मकर संक्रांति पर तत्तापानी में लोगों की खासी भीड़ रहती है।

माईपुल में भी लोगों ने किया पवित्र स्नान
वहीं ठियोग सहित ऊपरी शिमला के हरिद्वार तुल्य प्रसिद्ध तीर्थ माईपुल में मकर संक्रांति एवं माघी पर्व के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सबसे पहले सुबह 5 क्षेत्र के आराध्य देवता भूतेश्वर महाराज ने पवित्र गिरि गंगा घाट में स्नान किया, उसके उपरांत आसपास के क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने गिरि गंगा घाट में स्नान किया। मंदिर कमेटी के प्रधान हेतराम भारद्वाज ने बताया कि प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माईपुल में हर वर्ष 10 से 15 हजार श्रद्धालु मकर संक्रांति के अवसर पर शीश नवाने आते हैं और देवता महाराज से अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष इस तीर्थ स्थल पर तुलादान की व्यवस्था भी की गई थी। वहीं मंदिर कमेटी द्वारा भंडारे का भी आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि गिरि नदी में स्नान के लिए भी पुख्ता प्रबंध किए गए थे जबकि मंदिर में भी पूजा-अर्चना का कार्यक्रम दिन भर चलता रहा। मकर संक्रांति पर्व के सफल आयोजन के लिए पुलिस प्रशासन का भी विशेष सहयोग रहा।

हिमाचल में खिचड़ी की साजी के नाम से भी जानी जाती है मकर संक्रांति
बता दें कि मकर संक्रांति को हिमाचल में खिचड़ी की साजी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग घर में खिचड़ी बनाते हैं तथा तिल व गुड़ के लड्डू बनाकर पंडित व कन्याओं को दिए जाते हैं। शास्त्रों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन देवताओं का दिन आरंभ होता है। मकर संक्रांति के कुछ दिनों तक शीत ऋतु का प्रभाव बना रहता है इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मकर संक्रांति पर शीत से बचाव करने वाली चीजों का दान करना श्रेष्ठ होता है।

शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे खिचड़ी के भंडारे
शिमला में मकर संक्रांति के पर्व को लेकर जगह-जगह पर लोगों को खिचड़ी खिलाई गई। नोफल संस्थान व आलमाइटी संस्था ने लोगों को देसी घी व दही के साथ खिचड़ी खिलाई। खिचड़ी खाने के लिए सैंकड़ों की तादाद में लोग लंगर भवन में लाइनों में लगे रहे। नोफल संस्था के अध्यक्ष गुरमीत सिंह ने कहा कि संस्था द्वारा बीते 5 वर्षों से लोगों को मकर संक्रांति पर खिचड़ी खिलाई जाती है। खिचड़ी खाने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ लगी रही। खिचड़ी का भंडारा दोपहर बाद शुरू किया गया। शिमला के गंज बाजार, मिडल बाजार, शोघी व टुटू में भी खिचड़ी का भंडारा लगाया गया।

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Content Writer

Vijay