इस मंदिर में धंसता जा रहा शिवलिंग, तपस्या के बाद मां काली को मिले थे भोलेनाथ

punjabkesari.in Tuesday, Jul 11, 2017 - 01:22 PM (IST)

कांगड़ा: सावन का पवित्र म‍हीना शुरू हो गया है। देवभूमि में भी हर जगह भोलेनाथ की गूंज है। हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आपने पहले सुना होगा। यह जगह हिमाचल के कांगड़ा देहरा के परागपुर गांव में अवस्थित श्री कालीनाथ महाकालेश्‍वर महादेव मंदिर ब्यास नदी के तट पर स्थित है। यहां पर स्‍थापित शिवलिंग भी अपने आप में अद्वितीय है। मान्यता है कि इस शिवलिंग में महाकाली और भगवान शिव दोनों का वास है। इसके समीप ही श्मशानघाट है जहां पर हिंदू धर्म के लोग अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां बड़े पैमाने पर मेला लगता है।
PunjabKesari
PunjabKesari
PunjabKesari

ऐसे मिले मां काली को शिव

बताया जाता है कि वास्तु कला से निर्मित इस मंदिर में महादेव की पिंडी भू-गर्भ में स्थित है। मान्यता है कि मां काली ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह आकर अतिंम तपस्या की थी। मां काली युद्ध के बाद शिव के मानव रूपी शव को लेकर पूरी पृथ्वी में जगह-जगह तपस्या करने लगी। शिव ने काली मां पर दया कर शर्त रखी कि जिस स्थान पर राक्षसों का खून नहीं गिरा होगा, वहीं मैं तुम्हें मिलूंगा। कालेश्वर मंदिर वही स्थान है। यहीं पर काली मां को शिव प्राप्त हुए थे। शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह हर साल एक जो के दाने के बराबर पालात में धंसता जा रहा है। कालेश्वर तीर्थ स्थल के पास प्राचीन पंचतीर्थी सरोवर भी है। जहां स्नान करने से फल प्राप्त होता है। यह पंचतीर्थी तीर्थ स्थल पांडवों ने बनाया था।
PunjabKesari
PunjabKesari

मां काली के क्रोध को शांत करने के लिए पैरो में लेट गए शिव
इस पवित्र तीर्थ स्थल के दर्शनों के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जालंधर दैत्य की इस पवित्र भूमि पर महाकाली ने भगवान शंकर को खुश करने के लिए दाहिने पैर के अंगूठे के बल पर 14 हजार साल तक जाप किया। इसका जिक्र ऋग्वेद और स्कंद पुराण में है। राक्षस से युद्ध के बाद मां काली क्रोधित हो उठी थी। उनके क्रोध को शांत करने के लिए शिव उनके पैरो में लेट गए। इसके बाद उनका क्रोध शांत हो गया। पुराणों की मानें तो यहां पांडव अज्ञात वास में रहे। इसका प्रमाण यहां मौजूद है। क्योंकि पांडवों की मां ने जब स्नान की इच्छा जताई तो अर्जुन ने पहाड़ से मां गंगा को प्रकट किया। योगी शिव नंद स्वामी बताते हैं कि ये हिमाचल के तपो स्थलों में सबसे मान्य तपो स्थल है। मां चिंतपूर्णी के इर्द-गिर्द चारों तरफ रुद्र माह देव मंदिर है। उन्ही में से एक है माह कालेश्वर मंदिर। 
PunjabKesari
PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News