पर्वत श्रृंखलाओं से ऐसे निकलती है अद्भूत औषधी शिलाजीत

punjabkesari.in Monday, Mar 16, 2020 - 11:40 AM (IST)

रामपुर बुशहर (विशेषर नेगी) : आयुर्वेद में कई चमत्कारी औषधियों का वर्णन मिलता है। इसमें में एक औषधी है शिलाजीत। ऊँचे पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य शिलाओं निकलने वाले रस को कहते है शिलाजीत। शिलाजीत दुर्लभता से ही किसी चट्टान में निकलता है।  आयुर्वेदा में इसे कई बीमारियों में रामबाण माना गया है। 

हिमाचल के ऊपरी हिस्से में इसे निकालने का कार्य करने वाले कुछ लोग इसे पुश्तैनी धंधे के रूप् में कर रहे है। ऊंची व जोखिमपूर्ण  शिलाओं से निकलने वाले रस रूपी शिलाजीत के कई औषधीय गुण है। शिलाजीत पहाड़ों पर आसानी से मिलना मुश्किल होता है। दुर्लभता से कही चट्टान में पाया जाता  है। शिलाजीत दूर से चट्टान में काली परत जमी दिखाई देती है , लेकिन इस को पानी में घोलने पर रक्त की तरह दिखता है। शिलाजीत को आयुर्वेद में बहुत लाभकारी औषधि माना जाता है। 

आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत एक ऐसी औषधि है जो हमें स्वस्थ रहने में मदद करती है। पहाड़ों की शिलाओं  में तैयार होने वालों की वजह से इसे शिलाजीत कहा जाता है। वैज्ञानिक नजरिये से माना जाता  है कि भूगर्वीय गतिविधियों के कारण दफन हुए पेड़ पौधों के अवशेषों का गर्मी के दिनों में सूर्य की तेज किरणों से लाख की तरह तरल पदार्थ चट्टान से बाहर निकलता रहता है। शिलाजीत नाम मात्र के चट्टानों पर ही होता है इसीलिए मानव पहुंच आसानी सम्भव नहीं। 
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आयुर्वेदाचार्य चरक के अनुसार शिलाजीत चार प्रकार के होते है जिन में स्वर्ण, रजत, लोग व ताम्र वर्ण युक्त। प्रत्येक प्रकार के शिलाजीत के गुण व लाभ अलग प्रकार के होते हैं। यह पित, कफ, वात,  पित्त, चर्बी, मधुमेह, श्वास, मिर्गी, बवासीर, सूजन, पथरी, पेट के कीड़े व अन्य कई रोगों को नष्ट करने में सहायता करता है। शिलाजीत किडनी की समस्या, यौन शक्ति बढ़ती है, शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है।

जोड़ों के दर्द, गठिया एवं जोड़ों के दर्द सूजन के समस्या कोे फायदा होता है। पाचन तंत्र से जुड़ी भी समस्याएं भी दूर होती है। डायबिटीज के लिए रामबाण से कम नहीं शिलाजीत। फादर ऑफ सर्जरी आचार्य सुश्रुत ने शिलाजीत को दो तरह की गंद यानी कपूर व गोमूत्र गंदी बांटा है। शिलाजीत में कई प्रकार के एक्टिव न्यू ट्रेंस पाए जाते हैं। 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को व गर्भवती महिलाओं को शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।
 


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kirti

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