हिमालय की गोद में जड़ी-बूटियों का खजाना, रामबाण औषधि है ये फूल

Saturday, Mar 13, 2021 - 07:40 PM (IST)

गोहर (ख्यालीराम): हिमालय की गोद में हरे-भरे जंगलों को जड़ी-बूटियों का खजाना माना जाता है वहीं यहां पैदा होने वाली औषधियां मानव जीवन की सुरक्षा को रामबाण सिद्ध रही हैं। आजकल खिले बुरांस के फूल स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बुरांस का फूल अपने विशिष्ट गुणों के कारण कई बीमारियों के उपचार में लाभदायक है। विशेषज्ञों का कहना है कि बुरांस के पेड़ लगभग 1500 से 4000 मीटर ऊंचाई पर पाए जाते हैं। कई शोधों के अनुसार बुरांस एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लामैट्री और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। इन फूलों को बेहद स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है और इनका प्रयोग बवासीर, नकसीर, लिवर, किडनी रोग, खूनी दस्त व बुखार इत्यादि के दौरान होता है।

बुरांस की पंखुड़ियों को सुखाने के बाद इन्हें साल भर प्रयोग में लाया जा सकता है। अब आधुनिक फल कारखानों के माध्यम से बुरांस के फूलों का जूस व शरबत बनाया जा रहा है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध रहता है। इस कारण बुरांस का फूल आर्थिकी को भी संबल प्रदान कर रहा है। जानकारों का मानना है कि बुरांस की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कई स्थानों में सफेद बुरांस भी देखा जा सकता है।

इन रोगों की रोकथाम में सहायक है बुरांस

बुरांस के फूलों की पंखुड़ियों से चूर्ण बनाकर नाक के रास्ते से लेने पर सिर दर्द से राहत मिलती है। इसके साथ बुरांस श्वसन दानव विकार में उपयोगी होता है। दाद रोग में भी बुरांस का प्रयोग कर सकते हैं। शरीर में जलन की परेशानी में भी इसके उपयोग से लाभ पहुंचता है। जोड़ों में दर्द या गठिया रोग में भी बुरांस का इस्तेमाल लाभदायक माना गया है। खांसी की शिकायत रहने पर भी बुरांस गुणकारी औषधि है।

सेवानिवृत्त आयुर्वैदिक विशेषज्ञ डाॅ. अमरनाथ शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में बुरांस कई बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। बुरांस के फूल से बना शरबत ठंडक और ताजगी प्रदान करता है। कई लोगों को सिर दर्द की शिकायत रहती है। ऐसे में बार-बार एलोपैथिक दवाओं से नुक्सान पहुंच सकता है। सिर दर्द से राहत पाने के लिए बुरांस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए बुरांस के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप लगाने से आराम मिलता है।

Content Writer

Vijay