सदन में गूंजा 1 लाख लोगों को BPL से बाहर करने का मुद्दा, विपक्ष ने उठाए सवाल

Friday, Aug 23, 2019 - 05:00 PM (IST)

शिमला (तिलक राज): विधानसभा सत्र के 5वें दिन सदन में 1 लाख लोगों को बीपीएल से बाहर करने का मुद्दा गूंजा। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने नियम 62 के तहत सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर बीपीएल परिवारों की सूची में कटौती पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार जबरदस्ती गरीब लोगों को बीपीएल से बाहर करना चाहती है। सरकार पंचायती राज संस्था के कानूनों को दरकिनार कर रही है और सरकार एक लाख लोगों को बीपीएल से बाहर करना चाह रही है। पंचायती राज के नियमों को दरकिनार करके यह दिखाना चाहती है कि अब गरीबी खत्म कर दी है और इसके सरकार कई प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं। एक कमेटी का गठन भी कर दिया है जो यह निर्णय लेगी की कौन बीपीएल में रहेगा जबकि बीपीएल फैसला ग्राम सभा करती है। 

सामान्य लोगों को तंग करने का काम सरकार कर रही है जो कि सही नहीं है। मुकेश ने कहा कि सरकार प्रदेश में ग़रीबी रेखा की श्रेणी में आने वाले जरूरत मंद लोगों को मदद करने की जगह लोगों को जबरजस्ती सरकारी मदद से महरूम रखने का प्रयास कर रही है। सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि उन सभी परिवारों को जिनकी प्रतिमाह आय 25 सौ रुपए या इससे अधिक है इसे बीपीएल की श्रेणी से बाहर कर दी जाएगी। मुकेश ने कहा कि सरकार के इस फरमान से प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे या जो पहले से गरीब है उनको आर्थिक मार झेलनी पड़ेगी। जवाब में वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कांग्रेस हमेशा सिरसासन की मुद्रा में होती है और हमेशा उल्टा ही सोचती है। सरकार विभिन्न विभागों की योजनाओं को एक साथ जोड़कर लोगों को गरीबी से उभारने का काम कर रही है। सरकार हिमाचल को गरीबी रेखा से मुक्त पहला राज्य बनाना चाहती है।

पंचायती राज मंत्री ने कहा कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं हैं। सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है और सरकार प्रदेश के हर व्यक्ति और परिवार की हर संभव मद्दत के प्रति कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को सालों साल गरीब बनाए रखने की जगह उनको आगे बढ़ने के अवसर दिलाने की दिशा में योजनाएं बना रही है। सरकार लगातार कोशिश कर रही है और सरकार ऐसे लोगों की कृषि बागवानी और किसी अन्य तरह के कामों में आर्थिक मद्दत करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसी पर बोलते हुए पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल ने भी सरकार की इस अधिसूचना को गैर जरूरी और गरीबों के अधिकारियों को छीनने का प्रयास बताया। प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही की सोमवार दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

 

Ekta