भेड़ पालकों की आर्थिकी को लगेंगे पंख, रेम्बो का होगा महत्वपूर्ण योगदान

Monday, Nov 18, 2019 - 04:10 PM (IST)

रामपुर (विशेषर नेगी): हिमाचल में भेड़ों के नस्ल सुधार लाने में रेम्बो आने वाले समय में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे भेड़ पालको की आर्थिकी को भी पंख लग जायगे। पशुपालन विभाग के ज्यूरी स्थित भेड़ प्रजजन प्रक्षेत्र ने कृत्रिम गर्भधारण से मेमने पैदा कराने  में सफलता हासिल की है। यह प्रयोग हिमाचल प्रदेश में पहली बार ज्यूरी सफल हुआ है। ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र ने  रेम्बुलेट के सीमन को रामपुर क्षेत्र में पाई जाने वाली एफ टू भेड़  से गर्भधारण कराया और 3 नवंबर को मेमना पैदा हुआ।

अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले के दौरान विभाग ने इसे विकासात्मक प्रदर्शनी में भी रखा था और भेड़ पालको  को जागरूक किया जा रहा था।  अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले के दौरान ही इस मेमंने का अधिकारियो ने  नामकरण कर रेबो नाम दिया। रेम्बुलेट और बुशहरी यानी  रेम और बुशहरी से  रेम्बो रखा गया है। उल्लेखनीय है कि पशुपालन विभाग ने यूएसए के टेक्सास से 70 के दशक में रेम्बुलेट नस्ल के मेढ़ो को लाया था। उसके बाद विभाग के भेड़ प्रजजन केंद्र में इस का विस्तार किया गया।

मूल रूप से यह नस्ल फ्रांस की है और इस नस्ल के मेढ़ 85 किलो से अधिक वजनी और एक समय में ऊन  साढ़े तीन किलो से अधिक निकलता है। बुशहरी नसल की भेड़ो में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता रहती है। अब दोनों नस्लों  के मिश्रण से सभी गुण इन भेड़ो में विध्यमान होंगे। इससे भेड़ पालकों को अपनी आय बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार  का रास्ता साफ हो गया है। विभाग ने प्रदर्शनी के माध्यम से लवी मेले में पशुपालको को भेड़ प्रबंधन और बीमारियों से बचने के उपायों को भी बारीकी से बताने का प्रयास किया। पशुपालन विभाग ने पहले ही नस्ल सुधर की प्रक्रिया शुरू कर  रेम्बुलेट को एफ टू भेड़  तैयार किया है।  इसी एफ तो भेड़ से प्रजनन करा कर रेबो तैयार किया है।

ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र के चिकित्सक डॉ रविंद्र ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान से पहला बच्चा ज्यूरी फ़ार्म में आ गया है। आने वाले समय में इसका और विस्तार किया  जाएगा और इस का नामांकरण कर  नाम रेम्बो रखा है। यह हमारा पहला परीक्षण था।  उन्होंने बताया वे दूसरी तकनीकों का भी प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया बकरी के कृत्रिम गर्भाधान का यूनिवर्सिटी काम कर रही है लेकिन भेड़ में यह प्रयास ज्यूरी फ़ार्म ने किया और सफल हुए। उन्होंने इस दौरान विभाग द्वारा भेड़ पालको को दी जाने वाली सहायता की भी जानकारी दी।

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Simpy Khanna