113 वर्ष पुराना स्टीम इंजन फिर दौड़ा पटरी पर, विदेशी पर्यटकों ने सफर का उठाया लुत्फ

Tuesday, Feb 26, 2019 - 09:50 AM (IST)

शिमला : विश्व धरोहर शिमला-कालका रेलवे ट्रैक पर एक बार फिर 113 वर्ष पुराना स्टीम इंजन दौड़ा। स्टीम इंजन वाली ट्रेन सोमवार को शिमला व कैथलीघाट के बीच चली। इस ट्रेन में 2 कोच लगाए गए थे। इस ट्रेन में विदेशी पर्यटकों ने सफर किया। यू.के. के 30 यात्रियों ने इस ट्रेन में सफर का लुत्फ उठाया। इस ट्रेन में सफर कर विदेशी पर्यटकों ने यहां की हसीन वादियों को निहारा और यहां की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद किया।

स्टीम इंजन वाली ट्रेन विशेषकर विदेशी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसी बीच काफी संख्या में विदेशी पर्यटक स्टीम इंजन वाली ट्रेन की बुकिंग करवा रहे हैं। यहां बता दें कि इस विंटर सीजन के दौरान विदेशी पर्यटकों में स्टीम इंजन वाली ट्रेन में सफर करने का खूब क्रेज देखने को मिला। सोमवार को स्टीम इंजन वाली टे्रन सुबह 9.30 बजे शिमला से कैथलीघाट के लिए रवाना हुई। जानकारी के अनुसार स्टीम इंजन अब आगामी 27 फरवरी को फिर से पटरी पर चलाया जाएगा। स्टीम इंजन में सफर के लिए रेलवे के पास इस माह एक बुकिंग शेष है। शिमला रेलवे स्टेशन के अधीक्षक पिं्रस सेठी ने बताया कि सोमवार को विदेशी पर्यटकों के लिए शिमला से कैथलीघाट के बीच स्टीम इंजन वाली ट्रेन चलाई गई।

उल्लेखनीय है कि स्टीम इंजन को अभी भी रेलवे ने सहेज कर रखा है। कालका-शिमला ट्रैक पर भाप इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था। 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा। 1971 में सॢवस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया। 2001 में भाप इंजन की मुरम्मत करवाई गई। यह इंजन शिमला में खड़ा रहता है और इसे पर्यटकों द्वारा बुक किए जाने पर ही चलाया जाता है। 520 के.सी. नामक यह भाप इंजन नॉर्थ ब्रिटिश लोकोमोटिव कंपनी इंगलैंड द्वारा बनाया गया था।

शिमला रेलवे की धरोहर माने जाने वाले स्टीम इंजन की खास बात यह है कि इसमें छुक-छुक की आवाज होती है। स्टीम इंजन में पिस्टन के आगे-पीछे चलने और बाहर निकलने से छुक-छुक की आवाज होती है। स्टीम इंजन में बजने वाली सीटी भाप के दबाव से ही बजती है। डीजल इंजन के मुकाबले स्टीम इंजन की सीटी ज्यादा तीखी और दूर तक सुनाई देने वाली होती है। इंजन में लाइट भी स्टीम से ही जलती है।

kirti